"CAA नागरिकता देने का कानून है, लेने का नहीं, देश के मुस्लिम न डरें..." : केंद्र सरकार

केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि बंटवारे के बाद के हालात के समाधान के लिए इस क़ानून (CAA) को लागू किया गया है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया गया था.

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नागरिकता संशोधन कानून पर केंद्र सरकार.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) लागू हो गया है. इस कानून के लागू होने के बाद कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. लोगों में इस बात का भी भ्रम है कि CAA कानून के तहत नागरिकता छीनी जा सकती है. केंद्र सरकार ने इसी भ्रम को दूर करने के लिए एक स्पष्टीकरण जारी किया है और देश में रह रहे लोगों को आश्वासन दिया है कि भारत के अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को डरने की ज़रूरत नहीं है. CAA क़ानून से किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा रही है. इस कानून से भारतीय मुसलमानों को कोई ख़तरा नहीं है. मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं छीना जाएगा. सरकार ने साफ किया कि ये नागरिकता देने का क़ानून, नागरिकता लेने का नहीं.

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नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को CAA से नुकसान नहीं

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसंख्यक को, विशेषकर मुस्लिम भाइयों और बहनों को डरने की जरूरत नहीं है. इस कानून से किसी की नागरिकता छिनने नहीं जा रही है.उन्होंने कहा था,"देश के गृह मंत्री पर सभी का भरोसा होना चाहिए, फिर वे बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक.इस कानून से भारतीय मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है"
सरकार की तरफ से कहा गया है कि बंटवारे के बाद के हालात के समाधान के लिए इस क़ानून को लागू किया गया है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया गया था. रोहिंग्या बांग्लादेश से घुसपैठ कर भारत आते हैं, इसलिए इस कानून में उनको शामिल नहीं किया गया है. सरकार ने साफ किया कि सिक्किम, नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को CAA कानून से कोई नुक़सान नहीं है. नॉर्थ-ईस्ट में आर्टिकल- 371 नहीं हटाया जा रहा है. असम समझौते का पूरी तरह पालन किया जाएगा. 

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4 साल पहले पास हुआ CAA बिल, अब कानून लागू

बता दें कि केंद्र सरकार ने CAA पर नोटिफ़िकेशन जारी कर दिया है. लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने बड़ा क़दम उठाते हुए सीएए कानून को देशभर में लागू कर दिया है. सीएए पर बिल 4 साल पहले पास हुआ था. दिसंबर 2019 में संसद ने इस बिल को पास कर दिया था. इस कानून के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी. इस कानून के दायरे में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, ईसाई, पारसी आएंगे.

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बता दें कि  नागरिकता क़ानून में साल 1955 में संशोधन किया गया था. इस बिल के संसद से पास होने के बाद कई जगहों पर विरोध- प्रदर्शन हुए थे. 9 दिसंबर, 2019 को यह बिल लोकसभा में पास हुआ और 11 दिसंबर, 2019 को बिल राज्यसभा में पास हुआ.  12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति ने इसे मंज़ूरी दे दी थी और अब 11 मार्च 2024 को इसे देशभर में लागू कर दिया गया. 

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