समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिकाओं का केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा देकर विरोध किया गया था. सोमवार को याचिकाकर्ताओं ने अदालत से केंद्र के हलफनामें का जवाब देने के लिए समय मांगा. अदालत ने याचिका को संविधान पीठ को सौंप दिया है. अब 5 जजों की बेंच 18 अप्रैल से इस पर सुनवाई करेगी.
सरकार ने सभी 15 याचिकाओं का विरोध किया है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि ये भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है.परिवार की अवधारणा पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से होती है.
केंद्र ने कहा कि भागीदारों के रूप में एक साथ रहना और समान-लिंग वाले व्यक्तियों के साथ यौन संबंध रखना पति, पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलनीय नहीं है. जो अनिवार्य रूप से एक जैविक पुरुष को एक 'पति', एक जैविक महिला को एक 'पत्नी' और दोनों के मिलन से पैदा हुए बच्चे के रूप में मानती है. जिन्हें जैविक पुरुष द्वारा पिता के रूप में और जैविक महिला द्वारा मां के रूप में माना जाता है.
बताते चलें कि 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और 4 सप्ताह में केंद्र से जवाब मांगा था. वहीं 14 दिसंबर 2022 को समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित इसी तरह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया है.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि इस मामले में कई लोग इसमें रुचि रखते हैं. अदालत ने उनकी मांग को स्वीकार कर लिया.
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