गैंगस्टर अबू सलेम की उम्रकैद सजा के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. जिसमें कहा गया है कि, सलेम की जेल की सजा पर पुर्तगाल को आश्वासन देने का सवाल 2030 में ही उठेगा. सलेम की भारत द्वारा "आश्वासन का पालन न करने" के आधार पर रिहाई की मांग करना "समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों" पर आधारित है. MHA ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे अबू सलेम के संबंध में पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन से बाध्य है. लेकिन इसे पूरा करने का सवाल तभी उठेगा जब मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस के दोषी की 25 साल की जेल पूरी होगी. ये समय 10 नवंबर, 2030 को पूरा होगा.
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने दाखिल हलफनामे में कहा है कि भारत द्वारा "आश्वासन का पालन न करने" के आधार पर सलेम की रिहाई की मांग "समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित" है. दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामा दाखिल ना करने पर नाराज़गी जताई थी. जस्टिस संजय किशन कौल ने SG तुषार मेहता से कहा था कि अगर गृह सचिव के पास हलफनामा दाखिल करने का समय नहीं है तो हम उन्हें यहां बुला लेंगे. अदालत ने केंद्रीय गृह सचिव को 18 अप्रैल तक का समय दिया था. सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा की ओर इशारा करते हुए, SG ने कहा था कि सलेम मुंबई सीरियल ब्लास्ट में अपराधी है और वे कोर्ट या सरकार के लिए शर्त नहीं दे सकता है.
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