रोशनी भूमि घोटाले में CBI ने श्रीनगर के व्यापारी के परिसरों की तलाशी ली

सीबीआई (CBI) ने 15 जून को व्यापारी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और श्रीनगर (Shrinagar) के पूर्व उपायुक्त महबूब इकबाल और शेख एजाज इकबाल के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया था.

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नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) ने कथित रोशनी भूमि आवंटन घोटाले (Roshni land allotment scam) में रविवार को श्रीनगर में प्रसिद्ध व्यवसायी शौकत चौधरी के परिसरों की तलाशी ली. सीबीआई के अधिकारियों ने यह जानकारी दी.उन्होंने बताया कि सीबीआई ने 15 जून को चौधरी और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों और श्रीनगर के पूर्व उपायुक्त महबूब इकबाल और शेख एजाज इकबाल के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया था. सीबीआई की प्राथमिकी में अन्य सेवानिवृत्त अधिकारियों का भी नाम शामिल किया है. इनमें कश्मीर प्रशासनिक सेवा के मोहम्मद अफजल भट, तत्कालीन कश्मीर अतिरिक्त आयुक्त मुश्ताक अहमद मलिक सहायक आयुक्त (राजस्व, श्रीनगर); मोहम्मद अकरम खान, तत्कालीन तहसीलदार (नजूल); और शेख मुनीर अख्तर, तत्कालीन तहसीलदार, श्रीनगर का नाम शामिल है. इससे पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने जुलाई में रोशनी घोटाले से जुड़े मामले में श्रीनगर, जम्मू सहित नौ स्थानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद सीबीआई को कुछ तथ्य मिले थे, जिनके बाद सीबीआई ने नौ स्थानों पर तलाशी ली थी.

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क्या है रोशनी एक्ट
रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था. इसके बदले उनसे एक निश्चित रकम ली जाती थी, जो सरकार की ओर से तय की जाती थी. साल 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया था. लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया.

इसके चलते राज्य में सरकारी अधिकारियों के चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई है. योजना का उद्देश्य था कि जमीन के आवंटन से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल राज्य में बिजली ढांचे को सुधारने में किया जायेगा. 28 नवंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने इस एक्ट को खत्म कर दिया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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