हाई-टेक इमेज सर्च टूल्स से मिला सुराग, CBI ने बैंक फ्रॉड केस में 20 साल से फरार आरोपी को किया गिरफ्तार

सीबीआई ने इस लंबे समय से फरार चल रहे आरोपियों को पकड़ने के लिए तकनीक का सहारा लिया. एजेंसी ने इमेज सर्च और चेहरे की पहचान करने वाले एडवांस्ड टूल्स का इस्तेमाल किया. जब पुराने फोटो से मेल खाता एक डिजिटल सुराग मिला, तो CBI ने फील्ड वेरिफिकेशन कर इंदौर में इनकी मौजूदगी की पुष्टि की.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
इंदौर:

सीबीआई ने करीब 20 साल से फरार चल रही एक महिला आरोपी को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल की है. आरोपी मणि एम. शेखर, जो कि एक बैंक फ्रॉड केस में घोषित अपराधी थी, को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया है. यह गिरफ्तारी उन्नत इमेज सर्च तकनीक  के जरिए की गई, जिससे सीबीआई को दो दशक पुराने मामले में बड़ी कामयाबी मिली.

यह मामला 2002 से 2005 के बीच का है, जब मणि एम. शेखर और उनके पति रामानुजम मुत्थुरामलिंगम शेखर उर्फ आर.एम. शेखर ने मिलकर इंडो मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों के नाम पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (ओवरसीज ब्रांच, बेंगलुरु) से ₹8 करोड़ की धोखाधड़ी की थी. यह धोखाधड़ी बिना फंड आधारित लिमिट्स (Non-fund-based limits) का दुरुपयोग करके की गई थी.

सीबीआई ने इस मामले में 1 अगस्त 2006 को केस दर्ज किया था और 10 दिसंबर 2007 को चार्जशीट भी फाइल की थी. लेकिन दोनों मुख्य आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए, न ही समन या वारंट का जवाब दिया. इसके बाद कोर्ट ने 27 फरवरी 2009 को दोनों को ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर' घोषित कर दिया.

पहचान छिपाकर रहते रहे, KYC तक बदल डाले

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, फरार रहने के दौरान दोनों आरोपियों ने अपनी पहचान पूरी तरह बदल ली थी. पति ने अपना नाम बदलकर कृष्ण कुमार गुप्ता और पत्नी ने गीता कृष्ण कुमार गुप्ता रख लिया था. इतना ही नहीं, दोनों ने नई आईडी, मोबाइल नंबर, ईमेल, पैन कार्ड और बाकी KYC डिटेल्स भी पूरी तरह से बदल डाली थी.

कैसे पकड़ी गई आरोपी

सीबीआई ने इस लंबे समय से फरार चल रहे आरोपियों को पकड़ने के लिए तकनीक का सहारा लिया. एजेंसी ने इमेज सर्च और चेहरे की पहचान करने वाले एडवांस्ड टूल्स का इस्तेमाल किया. जब पुराने फोटो से मेल खाता एक डिजिटल सुराग मिला, तो CBI ने फील्ड वेरिफिकेशन कर इंदौर में इनकी मौजूदगी की पुष्टि की.

जांच के दौरान पता चला कि आरोपी के पति रामानुजम शेखर की मौत 2008 में ही हो चुकी थी. लेकिन वह भी नई पहचान के साथ ही रह रहा था. मणि एम. शेखर को 12 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया और बेंगलुरु कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

Advertisement

इस केस में 90% से ज्यादा फोटो मैचिंग एक्युरेसी के साथ आरोपी की पहचान पुख्ता हुई. यह मामला दिखाता है कि अगर तकनीक और जमीनी स्तर पर की गई मेहनत को जोड़ा जाए, तो सालों से फरार चल रहे अपराधियों को भी पकड़ना मुमकिन है. सीबीआई की इस सफलता को तकनीक और लगन के बेहतरीन तालमेल का उदाहरण माना जा रहा है.

Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: बिहार में 'वोट चोरी' के मुद्दे का जमीन पर कितना असर? | Election Cafe
Topics mentioned in this article