सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद करेगी सरकार, मिलेगा इतने लाख तक का मुफ्त इलाज

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च, 2024 को सड़क दुर्घटना पीड़ितों को ‘कैशलेस’ उपचार प्रदान करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया था.  चंडीगढ़ में शुरू किए गए पायलट कार्यक्रम का मकसद सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए एक परिवेश तैयार करना था.

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कैशलेस उपचार योजना का ऐलान
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कैशलेस उपचार योजना का ऐलान (Cashless Treatment Scheme) किया है. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचना दे दी जाती है तो सरकार 1.5 लाख तक के इलाज का पूरा खर्च उठाएगी. यह योजना किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहनों के कारण होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी. हिट एंड रन के मामलों में भी पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये तक मुआवजा दिया जाएगा.

कैशलेस उपचार योजना का ऐलान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), पुलिस, अस्पताल और राज्य स्वास्थ्य एजेंसी आदि के समन्वय से कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी. कार्यक्रम को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (ईडीएआर) एप्लिकेशन और एनएचए की लेनदेन प्रबंधन प्रणाली की कार्यक्षमता को मिलाकर एक आईटी मंच के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा. 

1.5 लाख रुपये तक ‘कैशलेस' इलाज मिलेगा

नितिन गडकरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पायलट कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा के अनुसार पीड़ित दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिन के भीतर प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक ‘कैशलेस' उपचार का हकदार है. सरकार इस साल मार्च तक एक संशोधित योजना लेकर आएगी. 

दुर्घटना पीड़ितों के लिए सरकार का बड़ा कदम

बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च, 2024 को सड़क दुर्घटना पीड़ितों को ‘कैशलेस' उपचार प्रदान करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया था.  चंडीगढ़ में शुरू किए गए पायलट कार्यक्रम का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए एक परिवेश तैयार करना था.पायलट परियोजना को बाद में छह राज्यों तक बढ़ाया गया. 

ड्राइवरों के लिए काम के घंटे तय करने पर विचार

नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार पायलटों की तर्ज पर वाणिज्यिक चालकों के लिए काम के घंटे तय करने की नीति बनाने के लिए श्रम कानूनों का अध्ययन कर रही है, क्योंकि चालकों की थकान की वजह से भीषण सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि देश में 22 लाख चालकों की कमी है. 
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)