पश्चिम बंगाल में कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहली नजर में पार्थ चटर्जी एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? भ्रष्ट व्यक्ति आसानी से जमानत पा सकते हैं जबकि आपके परिसर से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे?
पार्थ के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जिस परिसर से पैसे बरामद हुए थे वो एक कंपनी का था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस कंपनी पर पार्थ चटर्जी का पूरा नियंत्रण था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्थ चटर्जी और अर्पिता के संयुक्त नाम पर संपत्तियां खरीदी गई थी. मंत्री बनने के बाद उन्होंने फर्जी लोगों को भर्ती किया था. ईडी की तरफ से ASG एसवी राजू ने पार्थ चटर्जी को जमानत देने का विरोध किया है.
ईडी न कहा कि दूसरे मामलों में उनकी जांच चल रही है. ASG राजू ने कहा कि अगर पार्थ चटर्जी को ED मामले में जमानत मिल भी जाती है तो भी वे जेल से बाहर नहीं आएंगे. पार्थ दो अन्य CBI मामलों में हिरासत में हैं. पार्थ चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो ढाई साल से जेल मे बंद हैं. इस मामले में कई आरोपियों को जमानत मिल चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सभी मामले 2022 के हैं लेकिन कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण ही इसकी जांच शुरू हुई है. आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद हुए हैं. भले ही ये पैसे इनके घर में नहीं रखे गए होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आज यह देखना है कि क्या जमानत दिए जाने से जांच पर प्रभाव पड़ने की संभावना तो नहीं है. सवाल यह है कि वह जांच में किस तरह से बाधा डालेंगे. पार्थ के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अदालत शर्त लगा सकती है कि वो उस इलाके में न घुसें, वहां कहीं और रह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि क्या गवाहों के बयान धारा 164 के तहत रिकॉर्ड नहीं कर सकते? ASG राजू ने कहा कि यदि वह सहयोग करते हैं, तो ईडी 2 से 4 महीनों में आरोप तय कर सकती हैं. फिर हम इन गवाहों के बयान रिकॉर्ड करा लेंगे.