कनाडा ने जी-20 समिट से पहले भारत के साथ व्यापार वार्ता पर लगाई 'रोक', जानें- क्‍या है वजह

कनाडा एक विशाल भारतीय समुदाय का घर है, जिसमें भारत के बाहर की सबसे बड़ी सिख आबादी भी शामिल है.

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जस्टिन ट्रूडो अगले वीकेंड जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली जाने के लिए तैयार (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्‍ली:

कनाडा ने जी-20 समिट से पहले भारत के साथ पिछले कई सालों से चली आ रही  व्यापार वार्ता पर  'रोक' लगा दी है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने पिछले महीने भारत के साथ व्यापार वार्ता पर 'रोक' का अनुरोध किया था, क्योंकि कनाडाई नेता जी20 नेताओं के समूह के शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली की यात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं. कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने इसकी पुष्टि की है कि ट्रूडो की टीम ने इस रोक की पहल की है, जिसकी रिपोर्ट सबसे पहले शुक्रवार को कनाडाई मीडिया ने दी थी. 

ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, संजय कुमार वर्मा ने एक ईमेल बयान में कहा, "कनाडाई पक्ष ने भारत के साथ शीघ्र प्रगति वाले व्यापार समझौते पर तेजी से चल रही बातचीत को 'विराम' देने का सुझाव दिया है. हालांकि मुझे सटीक कारण की जानकारी नहीं है, लेकिन सबसे अधिक संभावना है कि 'विराम' हितधारकों के साथ अधिक परामर्श की अनुमति देगा."

वार्ता रुकने की ये है वजह...

ट्रूडो की आगामी भारत यात्रा के बारे में एक ब्रीफिंग में सरकारी अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि व्यापार वार्ता लंबी और जटिल प्रक्रियाएं हैं और कनाडा ने स्थिति का जायजा लेने के लिए रोक लगा दी है. नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने ये जानकारी दी. कनाडाई व्यापार मंत्री मैरी एनजी के कार्यालय ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया. 

व्‍यापार समझौतों को लेकर काफी आशावादी दिखे थे दोनों पक्ष

मई में, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ओटावा का दौरा किया और दोनों पक्ष आगामी व्‍यापार समझौतों को लेकर काफी आशावादी दिखे थे. इस दौरान एनजी ने कहा था कि वे शीघ्र-प्रगति समझौते पर हस्ताक्षर करने के करीब पहुंच रहे हैं, एक प्रारंभिक सौदा जो अर्थव्यवस्था-व्यापी समझौते के बजाय कुछ उद्योगों पर केंद्रित होगा. उन्होंने उस समय कहा था, "इसमें कई साल नहीं लगेंगे."

कनाडा में रहती है भारत के बाहर की सबसे बड़ी सिख आबादी

कनाडा ने भारत के साथ एक दशक से रुक-रुक कर व्यापार वार्ता की है, लेकिन हाल के वर्षों में ट्रूडो की सरकार ने चीन से दूर अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है. भारत के साथ व्यापार समझौता उसी व्यापक इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा है. ट्रूडो का देश एक विशाल भारतीय समुदाय का घर है, जिसमें भारत के बाहर की सबसे बड़ी सिख आबादी भी शामिल है, और उनकी सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए भारत पर निर्भर एक व्यापार समझौता करने की मांग की गई है.

क्‍या PM मोदी और ट्रूडो में होगी वन-टू-वन मीटिंग...?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता कर रहे हैं और ट्रूडो के कई मंत्री पहले ही  भारत में अपने समकक्षों के साथ एकत्र हो चुके हैं. प्रधानमंत्री ट्रूडो भी अगले सप्‍ताह भारत आने वाले हैं. हालांकि, अभी तक ये तय नहीं है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे या नहीं. यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रूडो पीएम मोदी के सामने मानवाधिकार के मुद्दे उठाएंगे, सरकारी अधिकारी ने कहा कि कनाडाई नेता दुनिया में अपने हर साथी के साथ ऐसी चिंताएं पर बात करते रहे हैं. 

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