क्या फांसी की बजाए कोई और दर्द रहित मौत की सजा दी जा सकती है? SC इसपर करेगा विचार

सुप्रीम कोर्ट में सजा ए मौत के दोषियों के लिए दर्द रहित मृत्यु की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जनहित याचिका में फांसी के बजाय गोली मारने, इंजेक्शन लगाने या करंट लगने का सुझाव दिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दो मई को सुनवाई करेगा. 
नई दिल्ली:

क्या देश में फांसी सजा की बजाए कोई और दर्द रहित मौत की सजा दी जा सकती है? इस पर सुप्रीम कोर्ट जल्द विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वो इस मामले को लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से डेटा मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि फांसी देने से कितना दर्द होता है? आधुनिक साइंस और तकनीक का फांसी की सजा पर क्या विचार है? क्या देश या विदेश में मौत की सजा के विकल्प का कोई डेटा है ? सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दो मई को सुनवाई करेगा. 

सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता और एजी वेंकटरमनी से कहा,  हां ये चिंतन का विषय है. हमें अपने हाथों में कुछ वैज्ञानिक डेटा चाहिए. हमें विभिन्न तरीकों से होने वाली पीड़ा पर कुछ अध्ययन दें. कुछ डेटा हम एक समिति बना सकते हैं. आप सुझाव दे सकते हैं कि समिति में कौन शामिल हो सकता है. यहां तक कि घातक इंजेक्शन भी दर्दनाक है
तो वहीं गोली मारना, मानवाधिकारों के पूर्ण उल्लंघन में सैन्य शासन का पसंदीदा टाइम पास था. केन्द्र सरकार की तरफ से एजी ने कहा कि अगर कोई कमेटी बनती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी. लेकिन मुझे भी निर्देश लेने की जरूरत होगी. 

 CJI ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि क्या यह तरीका कसौटी पर खरा उतरता है और अगर कोई और तरीका है, जिसे अपनाया जा सकता है तो क्या फांसी से मौत को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है. 

जनहित याचिका में फांसी के बजाय गोली मारने, इंजेक्शन लगाने या करंट लगने का सुझाव दिया गया है. याचिकाकर्ता वकील ऋषि मल्होत्रा  ने कहा है कि अक्टूबर 2017 का एक बहुत विस्तृत आदेश है. गरिमा से मृत्यु एक मौलिक अधिकार है. जब किसी आदमी को फांसी दी जाती है, तो उस मौत में गरिमा आवश्यक है. एक दोषी जिसका जीवन समाप्त होना है, उसे फांसी का दर्द नहीं सहना चाहिए. जब कोई व्यक्ति फांसी के लिए जाता है तो वह किस प्रक्रिया से गुजरता है. उसके शरीर को आधे घंटे के लिए फांसी पर लटका दिया जाता है जब तक कि डॉक्टर ये न कहे कि अब वो मर चुका है. यह क्रूरता है. दूसरे देशों में भी अब फांसी धीरे-धीरे छोड़ी जा रही है. फांसी की जगह कुछ मानवीय और दर्द रहित मौत होनी चाहिए. मौत की सजा इस तरीके से दी जानी चाहिए जिसमें कम से कम दर्द हो और यातना से बचा जा सके.

Advertisement

ये भी पढ़ें-

Featured Video Of The Day
IND VS NZ : New Zealand और India के मैच पर क्या बोले Ajaz patel? सुनिए इस ख़ास बातचीत में
Topics mentioned in this article