सुप्रीम कोर्ट ने CBI को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और अन्य जगहों पर बिल्डर-बैंक गठजोड़ और लोन धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़े 6 मामलों में FIR दर्ज करने की इजाजत दी है. पहले ही सीबीआई ने जांच कर 22 FIR दर्ज की हैं. अब सुप्रीम कोर्ट में सातवीं रिपोर्ट सौंपी गई हैं.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की पीठ को आज सूचित किया गया कि CBI की सातवीं प्रारंभिक जांच में संज्ञेय अपराध पाए गए हैं. CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की जानकारी दी.
अदालत ने CBI द्वारा प्रस्तुत एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और निर्देश दिया कि एजेंसी अब जांच के चरण से आगे बढ़े. पीठ ने CBI को उन मामलों में, जहां आपराधिक आचरण स्थापित हो गया हो, कानून के तहत आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए, जिनमें प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना भी शामिल है.
अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने CBI को बैंकों और डेवलपर्स के बीच "अपवित्र गठजोड़" के रूप में वर्णित मामले की सात अलग-अलग प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था. यह निर्देश इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक, एमिकस क्यूरी राजीव जैन द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के बाद दिया गया था, जिसमें 2013 और 2015 के बीच प्रचारित सबवेंशन लोन योजनाओं में प्रणालीगत खामियों की पहचान की गई थी.