बिलकिस बानो मामला : गुजरात और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे

गुजरात और केंद्र सरकार ने कहा कि हम इस मामले में विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रहे हैं. दरअसल, पिछली सुनवाई में केंद्र और गुजरात ने विशेषाधिकार का दावा किया था.

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गुजरात और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रहे हैं. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

गुजरात के 2002 दंगा मामले में बिलकिस बानो के 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे. साथ ही कहा कि हम इस मामले में विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि सरकार दोषियों की रिहाई संबंधी दस्‍तावेज देने को तैयार है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्‍ना की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. 

गुजरात और केंद्र सरकार ने कहा कि हम इस मामले में विशेषाधिकार का दावा नहीं कर रहे हैं. दरअसल, पिछली सुनवाई में केंद्र और गुजरात ने विशेषाधिकार का दावा करते हुए कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट के रिहाई संबंधी दस्तावेज मांगने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करना चाहते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना रुख बताने को कहा था. 

सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिहाई संबंधी दस्तावेज मांगने के आदेश पर गुजरात और केंद्र सरकार पुनर्विचार की मांग नहीं करेंगे. उन्‍होंने कहा कि वो पुनर्विचार दाखिल नहीं कर रहे हैं. वो रिहाई संबंधी फाइलें लाए हैं. 

'बुरी मिसाल होगी'

गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बिलकिस पीड़िता हैं, लेकिन बाकी याचिकाकर्ता तीसरा पक्ष हैं. इसलिए उनकी जनहित याचिकाएं खारिज की जाएं, नहीं तो ये एक बुरी मिसाल होगी. उन्‍होंने कहा कि हमें बिलकीस की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई ना हो. इसे लेकर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हम फिलहाल बिलकीस के दोषियों की रिहाई के मामले में सुनवाई कर रहे हैं, जनहित याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने पर बाद में तय करेंगे. 

'तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं'

गुजरात सरकार के लिए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष का कोई अधिकार नहीं है. सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिकाएं खारिज की जाएं. इस पर जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि पीड़िता खुद यहां है, हम उसे पहले सुन सकते हैं. 

बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्‍तेदारों की हत्‍या कर दी गई. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि हमने आपको सभी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था. हम जानना चाहते हैं कि आपने क्‍या विवेक लगाया है और किस सामग्री ने रिहाई का आधार बनाया और हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि शक्ति का वास्तविक प्रयोग हो. 

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