बिहार के न्यायाधीश ने अपने निलंबन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने अदालत से उस याचिका को नहीं हटाने का आग्रह किया, जिसे न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस.आर. भट की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. 

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नई दिल्ली:

बिहार में तैनात एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा उनके निलंबन और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.  अररिया के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) शशि कांत राय ने अपनी याचिका में दावा किया है कि छह साल की बच्ची के बलात्कार से जुड़े यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) मामले में उन्हें एक ही दिन में सुनवाई पूरी करने के लिए निलंबित कर दिया गया. 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने अदालत से उस याचिका को नहीं हटाने का आग्रह किया, जिसे न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस.आर. भट की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. 

वकील ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा, ‘‘एडीजे को निलंबित कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने पॉस्को मामले में एक दिन में सुनवाई पूरी की, जहां आरोपी ने छह साल की लड़की से बलात्कार किया था. पांच महीने बीत चुके हैं.'' 

वकील के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “ठीक है, (याचिका को) हटाया नहीं जाना चाहिए.” याचिका में आठ फरवरी 2022 को जारी आदेश को ‘‘अवैध और मनमाना'' करार दिया गया है. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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