बिहार में बीते कुछ दिनों में पुल गिरने की कई घटनाएं लगातार सामने आई हैं. बिहार में पुल गिरने का मामला अब सुप्रीम तक पहुंच चुका है. अब इस मामले सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह बिहार में बीते कुछ समय में छोटे-बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश दें. साथ ही साथ कमजोर संरचनाओं को ध्वस्त करने या पुननिर्मित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. आपको बता दें कि बुधवार को भी बिहार में एक ही दिन में ही चार और पुलों के गिरने का मामला सामने आया था.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि बिहार में पुलों की सुरक्षा के लिए समिति जैसे स्थाई निकाय का गठन किया जाए. इस याचिका को बृजेश कुमार ने दाखिल किया है. उन्होंने अपनी इस याचिका में बीते दो सालों में 12 पुलों के ढहने और बहने की घटनाओं का जिक्र किया गया है. बृजेश कुमार की याचिका में कहा गया है कि पिछले दो सालों में दो बड़े पुलों और छोटे मोटे कई पुलों के निर्माणधीन या बनने के फौरन बाद गिरने, ढहने और बहने की घटनाएं सामने आई हैं. याचिका में कहा गया है कि बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य है. यहां की 73.6 फीसदी जमीन भीषण बाढ़ की चपेट में आता है. ऐसे में पुलों के गिरने की घटनाएं कई तरह से चिंताएं बढ़ाने वाली हैं.
बुधवार को ढह गए थे चार पुल
बिहार में बीते कुछ समय से अलग-अलग जिलों में पुलों के गिरने का सिलसिला लगातार जारी है. बुधवार को महज एक ही दिन में राज्य में चार और पुल गिरे हैं. सारण जिले में गंडकी नदी पर बने दो पुल गिर गए, वहीं सिवान में भी एक पुल गिर गया. महाराजगंज में भी एक पुल गिरने की बात सामने आई है. सूबे में लगातार पूलों के गिरने की घटनाओं को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा था.
सरकार बनाएगी मेंटेनेंस पॉलिसी
बिहार में पुलों के लगातार गिरने और क्षतिग्रस्त होने की घटनाओं के बाद सरकार सजग हो गई है. ग्रामीण कार्य विभाग पुलों के रखरखाव के लिए पथ निर्माण विभाग की तरह मेंटेनेंस पॉलिसी बनाएगी. बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को इसे लेकर निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को पथों एवं पुलों के रखरखाव को लेकर समीक्षा बैठक की.
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