'लव जिहाद' लॉ पर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि लड़की को लालच देकर फंसाया गया है, तब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ लव जेहाद कानून के तहत FIR दर्ज नहीं की जा सकती. 

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले का परीक्षण करने का फैसला किया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लव जिहाद कानून (Love Jihad Law) पर राहत की उम्मीद लगाए गुजरात सरकार (Gujarat Government) को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह हाई कोर्ट के फैसले में दखल नहीं दे सकता. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले का परीक्षण करने का फैसला किया  है.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि लड़की को लालच देकर फंसाया गया है, तब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ लव जेहाद कानून के तहत FIR दर्ज नहीं की जा सकती. 

दरअसल, पिछले साल अगस्त में  "लव जिहाद" विरोधी कानून को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने लव जिहाद कानून की कुछ धाराओं को लागू करने से रोक दिया था. हाईकोर्ट ने ये फैसला जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनाया था. जमीयत ने इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी. गुजरात सरकार ने 15 जून 2021 को कथित लव जिहाद को रोकने के लिए 'गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021' लागू किया था. 

UP Election: BJP को ख़त्म करना होगा अपना 'Hate जिहाद', हमारे पास 'लव जिहाद' जैसी चीज़ों की जगह नहीं, NDTV से सलमान खुर्शीद

गुजरात हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि इस कानून के प्रावधान उन पर लागू नहीं हो सकते हैं जिन्होंने अंतर-धार्मिक विवाह में बल या धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं दिखाया. कोर्ट ने कहा था कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि लड़की को लालच देकर फंसाया गया है, तब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज न की जाए. 

प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं : सुसाइड मामले की जांच CBI से करवाने के मामले में तमिलनाडु सरकार से SC

Advertisement

अदालत ने ये भी फैसला सुनाया था कि वयस्कों के बीच स्वतंत्र सहमति और प्रलोभन या धोखाधड़ी के बिना अंतर-धार्मिक विवाह को "गैरकानूनी रूपांतरण के उद्देश्य से विवाह नहीं कहा जा सकता." अदालत ने एक याचिका के जवाब में अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें 2021 के संशोधन को चुनौती दी गई थी.

वीडियो: अब तक की सुर्खियां : 14 फरवरी, 2022

Featured Video Of The Day
Sambhal: Waqf की जमीन पर पुलिस चौकी वाले दस्तावेज फर्जी, FIR दर्ज