सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद भी गैस त्रासदी के पीड़ितों को है मुआवजे का इंतजार

भोपाल गैस त्रासदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए क्यूरेटिव पिटीशन में मौतों की संख्या 5,295 और घायल लोगों का आंकड़ा 5,27,894 बताया गया है. 2011 में दायर क्यूरेटिव पिटिशन में यूनियन कार्बाइड कंपनी से और 7413 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा गया.

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केंद्र सरकार भोपाल गैस त्रासदी में मृतकों के आंकड़े को 5295 बताती रही है.
भोपाल:

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित इंसाफ के लिए विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान कहा सरकार 1984 के गैस आपदा पीड़ितों को भुगतान के लिए यूनियन कार्बाइड का इंतजार क्यों कर रहा है? कोर्ट ने कहा कि सरकार को खुद मुआवजा देने के लिए आगे आना चाहिए था. सालों से मध्य प्रदेश सरकार इस मामले में इंसाफ की बात कर रही है, लेकिन जब सुनवाई की बात आई तो आश्चर्यजनक तरीके से उसने चुप्पी साध ली है. एनडीटीवी ने भोपाल गैस त्रासदी की कुछ पीड़ितों से बात की.

38 साल बाद भी भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित कभी नीलम पार्क में विरोध के लिये बैठते हैं, कभी गैस राहत मंत्री के बंगले पर, कोर्ट जाते हैं ... लेकिन इंसाफ नहीं मिलता. भोपाल में नसरीन के परिवार में 8 लोग गैस से प्रभावित हुए थे. वो कहती हैं सुप्रीम कोर्ट से बहुत उम्मीद है, जो सुधार याचिका लगी है. देखते हैं आगे क्या होगा.

72 साल की शहज़ादी के परिवार में 6 लोग थे. वो कहती हैं बात 6 लाख लोगों की हैं, आज भी 84 का वो मंज़र याद आता है. हर मोहल्ले में लोग मर रहे थे. ऐसा लगता है वो रात आज गुजर रही है. हम सब सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद लगाये हैं. दिसंबर 2010 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी, 1989 के फैसले की फिर से जांच करने की मांग की गई है, जिसमें लगभग 750 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया था. 

कहा गया ये नुकसान की संख्या पर गलत धारणाओं पर आधारित था. ये मुआवजा 3,000 मौतों और 70,000 घायलों के मामलों के पहले के आंकड़े पर आधारित था. क्यूरेटिव पिटीशन में मौतों की संख्या 5,295 और घायल लोगों का आंकड़ा 5,27,894 बताया गया है. 2011 में दायर क्यूरेटिव पिटिशन में यूनियन कार्बाइड कंपनी से और 7413 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा गया.

गैस पीड़ितों के लिये काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा कहती हैं, 'सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई है, उसमें सरकार खुद मान रही है कि गैस पीड़ितों के अंदर आज भी तकलीफ है. लंबे वक्त से वो बीमार हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता सरकार में दम है कि मुआवजा दिलवा सके. हम कोई पहल नहीं छोड़ेंगे. कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.'

यहां ये भी ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र सरकार भोपाल गैस त्रासदी में मृतकों के आंकड़े को 5295 बताती रही है. मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक मौतों की संख्या 15342 है और ICMR के मुताबिक इस हादसे में लगभग 25000 लोगों की जान गई.
 

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