भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट के आदेश पर एनआईए (NIA) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एनआईए ने अदालत से 10 नवंबर के आदेश को वापस लेने की मांग की है. मामले की शुक्रवार को सुनवाई होगी. एनआईए ने मुख्य रूप से तीन आधारों पर नवलखा के हाउस अरेस्ट ऑर्डर को रद्द करने की मांग की है. तथ्यों का जानबूझकर छिपाया गया, कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के लिए जानबूझकर कार्य किया गया और एक्टिविस्ट की मेडिकल रिपोर्ट के संबंध में पक्षपात हुआ जिसके आधार पर कोर्ट ने हाउस अरेस्ट के आदेश दिए.
एनआईए की अर्जी में कहा गया है कि नवलखा के मेडिकल रिकॉर्ड पक्षपात वाले थे, क्योंकि वे एक ऐसे अस्पताल में तैयार किए गए थे जहां नवलखा के रिश्तेदार एक प्रमुख डॉक्टर 43 साल से काम कर रहे हैं और वे रिपोर्ट तैयार करने में शामिल रहे हैं.
एनआईए ने यह भी कहा है कि 10 नवंबर का आदेश इस दलील पर आधारित था कि हाउस अरेस्ट का स्थान आवासीय प्रकृति का होगा. हालांकि नवलखा द्वारा पसंदीदा स्थान एक राजनीतिक दल के नियंत्रण में एक सार्वजनिक लाइब्रेरी है. इसमें भूतल, पहली मंजिल पर हॉल, एक खुली छत और मुख्य द्वार से तीन प्रवेश द्वार हैं. यह इमारत कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव के नाम पर है, जो इसका प्रबंधन करते हैं.
एनआईए ने कहा है कि, यह समझ से बाहर है कि माओवादी गतिविधियों के आरोपी व्यक्ति को एक ऐसी इमारत में कैसे नजरबंद किया जा सकता है जो राजनीतिक दल, यानी कम्युनिस्ट पार्टी के नाम से पंजीकृत एक सार्वजनिक लाइब्रेरी है.
गौतम नवलखा ने भी अदालत के समक्ष एक अर्जी दायर की है जिसमें कहा गया है कि अधिकारी 10 नवंबर के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं.