वकालत की प्रैक्टिस के लिए ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन को सुप्रीम कोर्ट ने वैध ठहराया

संविधान पीठ ने वी सुदीर बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, (1999) 3 एससीसी 176 के फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एडवोकेट एक्ट की धारा 24 में उल्लिखित शर्तों के अलावा कोई भी शर्त, लीगल प्रैक्टिस करने के इच्छुक व्यक्ति पर नहीं लगाई जा सकती है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने कानून की डिग्री पाने वालों को वकालत की प्रैक्टिस से पहले बार ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन में बैठने को वैध ठहराया है. अदालत ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) के पास ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (All India Bar Examination) आयोजित करने का अधिकार है. ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन को पूर्व-नामांकन या नामांकन के बाद आयोजित किया जाना चाहिए. ये एक ऐसा मामला है जिसे बीसीआई तय कर सकता है. 

संविधान पीठ ने वी सुदीर बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, (1999) 3 एससीसी 176 के फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एडवोकेट एक्ट की धारा 24 में उल्लिखित शर्तों के अलावा कोई भी शर्त, लीगल प्रैक्टिस करने के इच्छुक व्यक्ति पर नहीं लगाई जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि एडवोकेट एक्ट बीसीआई को ऐसे मानदंड निर्धारित करने के लिए पर्याप्त अधिकार प्रदान करता है.

5 जजों के संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि BCI यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया को इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि इस परीक्षा की फीस एक समान हो. साथ ही कानून के छात्रों के लिए ये फीस भारी भरकम नहीं होनी चाहिए. संविधान पीठ में जस्टिस एस के कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, एएस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी शामिल थे.

दरअसल, 30 अप्रैल 2010 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 'ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन रूल 2010' जारी किया था. नियम में कहा गया कि वकीलों को अनिवार्य रूप से भारत में कानून का अभ्यास करने के लिए AIBE पास करना होगा. पहले, वकीलों को वकालत करने के लिए अपने संबंधित राज्य बार काउंसिल में केवल कानून की डिग्री और नामांकन की आवश्यकता होती थी.

1 मार्च 2016 को पूर्व सीजेआई जेएस ठाकुर, जस्टिस आर भानुमति और यूयू ललित की 3 जजों की खंडपीठ ने पाया कि कानून का अभ्यास करने का अधिकार न केवल अधिनियम के तहत एक वैधानिक अधिकार है, बल्कि एलएलबी डिग्री लेने वाले  के लिए एक मौलिक अधिकार भी है. 18 मार्च 2016 को तीन जजों की पीठ ने ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका 5 जजों की संविधान पीठ को सौंप दी थी. 

ये भी पढ़ें:-

भारत में BBC के काम पर रोक लगाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

'बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन मामले की जल्द करें सुनवाई' : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से किया आग्रह

UP विधान परिषद में LOP की मान्यता समाप्त करने का मामला : SC ने विधानसभा सचिवालय से मांगा जवाब

Advertisement
Featured Video Of The Day
22 साल इजरायली Jail में रह 'खान यूनिस का कसाई' Yahya Sinwar, अब हुई मौत