केंद्र सरकार के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने का असर आने वाले समय में व्यापारियों से लेकर किसानों तक पर भी देखने को मिलेगा. मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की ए ग्रेड मंडी कही जाने वाली पिपरिया कृषि उपज मंडी में व्यापारी अजय राय बताते हैं कि निर्यात पर रोक से एक तरफ जहां गेहूं के दामों में कमी आएगी वहीं इसका असर व्यापारियों के अलावा किसानों पर भी देखने को मिलेगा.
बनखेड़ी के एक गांव के किसान ओम रघुवंशी बताते हैं कि सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी कर रही है, उसका भुगतान किसान को समय पर नहीं होता. एक-एक महीने तक किसान सोसाइटी के चक्कर लगाता है. इसके चलते किसान अपनी गेहूं की फसल प्राइवेट में कृषि उपज मंडी के व्यापारियों को भेजता है. उसका दाम उसे समय पर और अच्छा मिल जाता है. यदि गेहूं के दाम घट आते हैं तो इसका असर किसानों पर भी आएगा.
गौरतलब है कि भारत ने शनिवार को गेहूं के निर्यात पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लागू कर दिया है. यह फैसला तब आया है, जब अभी भारत ने गेंहू के निर्यात को बढ़ाने का लक्ष्य रखा था. गेंहू के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक प्रतिनिधिमंडल भी गठित किया था. इस प्रतिनिधिमंडल को गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए मोरक्को, ट्यूनीशिया और इंडोनेशिया सहित नौ देशों में भेजने की बात सामने आई थी. लेकिन इस घोषणा के ठीक दो दिन बाद ही सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेंहू के निर्यात पर रोक लगा दी.
हालांकि योजना में अचानक बदलाव के बारे में पूछे जाने पर, सरकारी सूत्रों ने कहा कि चीन भारत से खाद्यान्न ले रहा है क्योंकि फसल के नुकसान के कारण वहां खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं. लगातार पांच वर्षों की रिकॉर्ड फसल के बाद, भारत ने अपने गेहूं के उत्पादन के अनुमान को फरवरी के 111.3 मिलियन टन के अनुमान से घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया, जब गर्मी की वजह से फसल की पैदावार प्रभावित हुई थी.