अयोध्या राम मंदिर निर्माण में नहीं किया गया लोहे और स्टील का इस्तेमाल, जानें क्या है वजह?

सोमपुरा का कहना है, "वास्तुकला के इतिहास में राम मंदिर (Ayodhya Ram Temple) जैसा आर्किटेक्चर न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया की किसी भी जगह पर शायद ही कभी देखा गया होगा.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins

बिना लोहा और स्टील के बन रहा राम मंदिर.

नई दिल्ली:

अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Temple) का ग्राउंड फ्लोर बनकर तैयार हो चुका है. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है. भव्य राम मंदिर पारंपरिक भारतीय विरासत वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है. इसके निर्माण में कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे सदियों तक ये ऐसा ही रहेगा. हैरान करने वाली बात ये है कि राम मंदिर को बनाने में लोहे और स्टील (No Steel And Iron In Ayodhya) का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, "मंदिर एक हजार साल से ज्यादा समय तक चलने के हिसाब से बनाया गया है." उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने उस तरीके का स्ट्रक्चर तैयार किया है, जैसा पहले कभी नहीं किया गया.

ये भी पढ़ें-अयोध्या: शर्कराधिवास, फलाधिवास, पुष्पाधिवास...रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले आज खास अनुष्ठान | Live Updates

नागर शैली में बनाया जा रहा राम मंदिर

चंद्रकांत सोमपुरा ने राम मंदिर के आर्किटेक्चर डिजाइन को नागर शैली के हिसाब से बनाया गया है. 15 पीढ़ियों से उनका परिवार 100 से ज्यादा मंदिरों को डिजाइन कर चुका है. मंदिर का डिजाइन नागर शैली या उत्तरी भारतीय मंदिर के डिजाइन की तरह ही बनाया गया है.

Advertisement

सोमपुरा का कहना है,  "वास्तुकला के इतिहास में राम मंदिर जैसा आर्किटेक्चर न सिर्फ भारत में बल्कि इस दुनिया की किसी भी जगह पर शायद ही कभी देखा गया होगा."नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि तीन मंजिल के मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है.  57,000 वर्ग फीट में यह बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राम मंदिर में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है,  क्योंकि लोहे की उम्र सिर्फ 80-90 साल होती है. मंदिर की ऊंचाई 161 फीट यानी कि कुतुब मीनार की ऊंचाई की लगभग 70% होगी.

Advertisement

Photo Credit: NDTV Reporter

राम मंदिर में लगा ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूड़की के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार रामंचरला  ने कहा कि राम मंदिर को बनाने में सबसे अच्छी क्वालिटी वाले ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है. इसको जोड़ने के लिए सीमेंट या चूने का इस्तेमाल नहीं हुआ है. पूरे स्ट्रक्चर को बनाने में पेड़ों का इस्तेमाल एक ताला और चाबी तंत्र का उपयोग किया गया है.  सीबीआरआई ने कहा कि  3 मंजिल मंदिर को 2,500 साल में भूकंप से सुरक्षित रखने के हिसाब से डिजाइन किया गया है.

Advertisement

रेतीली जमीन पर मंदिर बनाना चुनौती था-नृपेंद्र मिश्रा

वहीं नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि सरयू नही होने की वजह से मंदिर के नीचे की जमीन रेतीली और अस्थिर थी, ऐसी जगह पर मंदिर तैयार करना बड़ी चुनौती थी. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस समस्या का बढ़िया समाधान ढूंढ लिया. रामंचरला ने बताया कि सबसे पहले, पूरे मंदिर क्षेत्र की मिट्टी 15 मीटर की गहराई तक खोदी गई.

Advertisement

क्षेत्र में 12-14 मीटर की गहराई तक इंजीनियर्ड मिट्टी बिछाई गई, कोई स्टील री-बार का उपयोग नहीं किया गया, इसे ठोस चट्टान जैसा बनाने के लिए 47 परत वाले बेस्ड को कॉम्पेक्ट किया गया. इससे ऊपर 1.5 मीटर मोटी एम-35 ग्रेड मेटल फ्री कंक्रीट राफ्ट बिछाया गया. नींव को और मजबूत करने के लिए दक्षिण भारत से निकाले गए 6.3 मीटर मोटे ठोस ग्रेनाइट पत्थर बिछाया गया.

ऊपर से दिखने वाला मंदिर का हिस्सा राजस्थान से मंगवाए गए गुलाबी बलुआ पत्थर 'बंसी पहाड़पुर' पत्थर से बना है. सीबीआरआई के मुताबिक, ग्राउंड फलोर पर कुल 160 स्तंभे हैं. पहली मंजिल पर 132 और दूसरी मंजिल पर 74 खंभे हैं, ये सभी बलुआ पत्थर से बने हैं और बाहर की तरफ नक्काशी की गई है. वहीं मंदिर का गर्भगृह राजस्थान के सफेद मकराना संगमरमर से बना है. 

ये भी पढ़ें-"सोने का तीर-धनुष... 10 अवतारों की आकृतियां", रामलला की प्रतिमा में क्‍या-क्‍या... जानिए | स्पेशल कवरेज