वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को बजट पेश करेंगे. बजट पेश करने का समय 11 बजे सुबह का है. बजट संसद के बजट सत्र में पेश किया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि बजट हमेशा से सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता रहा हो. पहले शाम पांच बजे बजट पेश किया जाता था. आइए जानते हैं कि बजट को पेश करने का समय किस सरकार में बदला. बदले हुए समय में किस वित्तमंत्री ने बजट पेश किया और उस समय प्रधानमंत्री कौन थे.
किस सरकार में बदला था बजट पेश करने का समय
यह उस समय की बात है जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. उनकी सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने 27 फरवरी 1999 को सुबह 11 बजे बजट पेश किया. यह उस परंपरा से हटकर था, जिसमें बजट शाम पांच बजे के बाद पेश किया जाता था. शाम पांच बजे बजट पेश करने की परंपरा को सिन्हा ने 53 साल बाद तोड़ दिया था. दरअसल इसके पीछे औपनिवेशिक दासता से मुक्ति का तर्क दिया गया. ब्रिटिश सरकार के समय से ही बजट शाम पांच बजे पेश किया जाता था. इसका कारण यह था कि जिस समय भारत में पांच बज रहे होते थे, उस समय ब्रिटेन की राजधानी लंदन में सुबह के साढ़े 11 बज रहे होते थे. उस समय तक अंग्रेज शासन के कर्ता-धर्ता उठकर सुबह का नाश्ता कर अपने कामकाज में लग चुके होते थे. इससे ब्रिटिश संसद को भी सुविधा होती थी.
इसके अलावा सरकार का एक तर्क यह भी था कि सुबह बजट पेश किए जाने से मीडिया कवरेज अधिक से अधिक मिलता था. इससे प्रेस को अगले दिन के अखबार के लिए तैयारी का और अधिक समय मिल जाता था. बाद में आई सरकारों ने भी इस परंपरा को जारी रखा.वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इसी परंपरा को जारी रखते हुए शनिवार को सुबह 11 बजे पेश करेगी. दूसरी बात यह कि पहले बजट 28 फरवरी को पेश किया जाता था. लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2017 से इसे एक फरवरी को पेश करने की परंपरा शुरू की. एक फरवरी को पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था. शनिवार को आमतौर पर संसद में अवकाश रहता है. लेकिन इस बार एक फरवरी को ही शनिवार पड़ रहा है और बजट एक फरवरी को ही पेश किया जाता है, इसलिए इस बार शनिवार को भी संसद में कामकाज होगा.
रेल बजट का आम बजट में विलय कब हुआ
इससे पहले सरकार दो दिन में दो बजट पेश करती थी. ये थे आम बजट और रेल बजट.सरकार आम बजट से एक दिन पहले रेल बजट को संसद में पेश करती थी. केंद्र सरकार ने 21 सितंबर 2016 को आम बजट में रेल बजट के विलय को मंजूरी प्रदान की थी. इसके बाद एक फरवरी, 2017 को पहला संयुक्त बजट संसद में पेश किया गया था. रेलवे के लिए अलग से बजट पेश करने की परंपरा ब्रिटिश काल में 1924 में शुरू हुई थी.साल 1924 से पहले आम बजट और रेल बजट एक साथ ही पेश किए जाते थे. दरअसल ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी के प्रमुख सर विलियम एकवर्थ की अध्यक्षता में बनी एक कमेटी ने 1920-21 में रेल बजट को अलग से पेश करने के लिए अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी.
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