बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद बेंच में COVID-19 महामारी से निपटने के इंतजामों पर चल रही सुनवाई में 28 मई को केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने बताया कि जिन 113 वेंटिलेटरों की बात हो रही है, वो वेंटिलेटर्स PM केयर्स फंड से नहीं आए हैं बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उपलब्ध कराए हैं, जो कि राजकोट में बने हैं. अदालत ने ASG को इस बात के लिए लताड़ा है कि वो आरोप-प्रत्यारोप खेल के तहत मेडिकल स्टॉफ की अक्षमता को दोष दे रहे हैं जबकि उन्हें आगे आकर कंपनी और अस्पताल के बीच मशीनों के मेंटेनेंस और सुधार पर जोर देने का प्रयास करने चाहिए.
अदालत ने आर्टिकल 162 का हवाला देते हुए राज्य सरकार को भी लताड़ा है कि स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य सरकार के अधीन हैं और इसलिए वो अपनी जिम्मेदारी किसी और पर नहीं झटक सकते. जब मशीनें किसी अस्पताल को दी जा रही हैं तो वो सुचारू रूप से चल रही हैं या उनमें कोई दिक्कत है, ये सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है.
उत्तर प्रदेश में धूल फांक रहे हैं सैकड़ों वेंटिलेटर, PM Cares Fund से हुई थी खरीद
अदालत के आदेश पर ASG ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वो जल्द ही मशीनों की निर्माता कंपनी से बात कर इन मशीनों में अगर कोई दुरुस्ती आवश्यक है तो उसे करवाकर मशीनों को चालू हालत में लाने के लिए प्रयास करेंगे.
पीएम केयर्स फंड के तहत खरीदे वेंटिलेटर कितने काम आ पाए?
सख्त हिदायतों के साथ ही कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि अगली तारीख से पहले चीजें ठीक हो जाएंगी और ASG बेहतर ब्रीफ के साथ कोर्ट के सामने आएंगे. मामले की अगली सुनवाई 2 जून को रखी गई है.
VIDEO: रवीश कुमार का प्राइम टाइम : खराब वेंटिलेटर्स की वजह से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?