बलात्कार मामले में सजा काट रहे आसाराम को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Asaram) से एक बार फिर राहत नहीं मिली है.अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. आसाराम की तरफ से सजा पर रोक लगाने की मांग सर्वोच्च अदालत से की गई थी, जिस पर कोर्ट ने उसके वकील से कहा कि वह अपनी मांगें राजस्थान हाईकोर्ट के सामने रखें. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को उनकी याचिका का जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया.
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आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
महाराष्ट्र में पुलिस हिरासत में आयुर्वेदिक इलाज कराए जाने की मांग वाली आसाराम की अर्जी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया. ये पहली बार नहीं है जब जब आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है, इससे पहले भी सर्वोच्च अदालत से उनको राहत नहीं मिली.
आसाराम के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?
सितंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत देने से मना कर दिया था. साल 2022 में राजस्थान हाई कोर्ट ने भी उनको जमानत देने से मना कर दिया था. आसाराम के वकील ने कोर्ट को बताया था कि पिछले 9 सालों से वह जेल में बंद हैं, उनकी उम्र 80 साल से ऊपर हो गई है, वह लगातार गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसीलिए उनकी सजा पर रोक लगाई जाए.
11 सालों से जेल की सजा काट रहे आसाराम
आसाराम पिछले 11 सालों से जेल की सजा काट रहा है.अब तक 12 के करीब याचिकाएं उसकी खारिज हो चुकी हैं. वह लगातार जेल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है,लेकिन अब तक उसको कामयाबी नहीं मिल सकी है. परोल से लेकर बाहर निकलने तक की उसकी सारी कोशिशें नाकाम होती रही हैं. बाहर निकलने की आस में आसाराम ने एक बार फिर से सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसको फिर निराशा हाथ लगी है, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट जाने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ट्रायल कोर्ट अगर सजा पर सुनवाई वाली याचिका पर जल्द सुनवाई नहीं करता है तो वह राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सजा पर रोक लगाने की मांग कर सकते हैं. बता दें कि अप्रैल 2018 में राजस्थान के जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम को 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग से बलात्कार का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसी मामले में अदालत ने उसके दो सहयोगियों को 20 साल जेल की सजा सुनाई थी.