"ये तो छोटा NRC हो गया...", यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण पर भड़के ओवैसी

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि मदरसों में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आवश्यकता के अनुसार सर्वेक्षण करेगी. 

नई दिल्ली:

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के यूपी सरकार के फैसले की गुरुवार को आलोचना की और आरोप लगाया कि यह कदम मुसलमानों को परेशान करने के लिए उठाया गया है. एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, " सरकार झूठ कह रही है. मान्यता प्राप्त मदरसों के मौलवी को पांच साल में पांच महीने की सैलरी दी गई है. ऐसे में मॉडर्नाइजेशन कैसा?"  

उन्होंने सवाल उठाया, " सर्वे केवल मदरसों का ही क्यों? सभी शैक्षणिक संस्थानों का कराएं? क्या मदरसे की पढ़ाई आधुनिक नहीं? मदरसे क मकसद ही इस्लामिक तालीम देना है.ऐसे में जिन्हें अन्य शिक्षा चाहिए होगी वो अन्य संस्थानों में जाएंगे. ये सर्वे के बाद मुसलमानों परेशान करेंगे. ये तो छोटा एनआरसी हो गया. पहले मुसलमानों को चिन्हित करो और फिर साइड लाइन कर दो. सरकारी स्कूलों में मूलभूल सुविधाओं की कमी वहां सर्वे क्यों नहीं?"

ओवैसी ने कहा, " उनको (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) समझना चाहिए अन्य जगह जो बच्चे पढ़ रहे हैं, क्या वे बच्चे नहीं है. ये सेंटर बन चुका है आरएसएस की आईडियोलॉजी का, इसका काम उनकी सोच को प्रमोट करना है, इनका बच्चों से कोई लेना देना नहीं है."

सिलेबस के संबंध में उन्होंने कहा, " हमें डर किसी से नहीं है. दिक्कत इस बात से है कि वो ऐसा करके वैसे लोगों को परेशान करेंगे जो अपने पैसों से मदरसे चला रहे हैं. वे जो मदरसे उनके साथ हैं, उसका विकास क्यों नहीं कर रहे हैं. सरकार के पास तो फंड ही नहीं है. काम कैसे करेंगे. पार्लियामेंट में ये बात स्पष्ट हो चुकी है. मदसरों को केवल टारगेट किया जा रहा है."

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के अपने निर्णय की घोषणा की, ताकि शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम और वहां उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जा सके.

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि मदरसों में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आवश्यकता के अनुसार सर्वेक्षण करेगी. 

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