भारतीय सेना ने आज सुबह मणिपुर के तनावग्रस्त कांगपोकपी जिले में झड़प होने की सूचना दी. सेना ने कहा कि हथियारबंद दंगाइयों ने हरोथेल गांव में गोलीबारी की. सेना ने कहा कि, उसने हालात बिगड़ने से रोकने के लिए पास में तैनात सैनिकों को मौके पर भेजा. रास्ते में सेना की टुकड़ियों पर कथित तौर पर गोलीबारी की गई. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सेना ने किसी भी अतिरिक्त क्षति से बचने के लिए "नियंत्रित तरीके" से जवाब दिया.
सेना ने एक बयान में कहा, "अपुष्ट रिपोर्टों से कुछ लोगों के हताहत होने का संकेत मिला है. इलाके में बड़ी भीड़ जमा होने की भी खबर है. हालात पर करीब से नजर रखी जा रही है. बाद में आगे की जानकारी दी जाएगी."
पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार झड़पें हुईं थीं.
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी (नागा और कुकी) आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मणिपुर में संघर्ष के हालात राज्य के समुदायों के बीच लंबे समय से चले आ रहे जातीय तनाव के कारण बने हैं.
अप्रैल में मणिपुर हाईकोर्ट के एक फैसले में राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति की स्थिति के मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया, जिससे तनाव बढ़ गया.
हिंसा को रोकने और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना के लगभग 10,000 जवानों और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है.
हिंसा की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाला एक पैनल गठित किया गया है. सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ राज्यपाल और सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के अधीन एक शांति समिति का गठन किया जा रहा है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस बात की जांच कर रही है कि क्या हिंसा के पीछे कोई साजिश थी.
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