शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने रविवार को दावा किया कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सलाह पर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. शिअद ने एक बयान में कहा, ‘‘वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने जिस शांतिपूर्ण तरीके से खुद को कानून के हवाले किया, उसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए और निर्दोष सिखों के खिलाफ मुकदमा चलाना तथा उनका उत्पीड़न तत्काल बंद करना चाहिए.''
सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ने 25 मार्च को अमृतपाल को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने और जांच में सहयोग करने के लिए कहा था.
पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक अमृतपाल को मोगा जिले के रोडे से रविवार को गिरफ्तार किया. वह एक महीने से अधिक समय से फरार था.
बयान के मुताबिक, शिअद प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि अमृतपाल सिंह ने खुद को कानून के हवाले कर दिया है, अब 'आप' नीत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उसके इस मुद्दे पर ‘भय का माहौल' क्यों बनाया.
चीमा ने आरोप लगाया, "पंजाब में 'आप' नीत सरकार की अब तक की कार्रवाइयों ने केवल दुनियाभर में सिख समुदाय को बदनाम करने का काम किया है. इसके अलावा, राज्य से पूंजी का पलायन हुआ है और पंजाबियों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई है. जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भी भड़काया गया है."
चीमा ने कहा कि जिस तरह से पंजाबियों ने सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखा और विभाजनकारी ताकतों को नकारा, यह साबित करता है कि वे सभी समुदायों के बीच शांति और भाईचारे के लिए खड़े हैं.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पंजाब में ‘आप' नीत सरकार अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग करके और मीडिया तथा बुद्धिजीवियों पर आपातकाल जैसे प्रतिबंध लगाकर इस मुद्दे को तूल देने का प्रयास कर रही थी.''
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