'Brahmin Genes' लिखकर चर्चा में आई, आरक्षण के खिलाफ उठाई आवाज... CEO की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर छेड़ी बहस

अपनी पोस्ट में अनुराधा तिवारी ने लिखा, "जैसा कि मैंने एक्सपेक्ट किया था केवल ब्राह्मण शब्द लिखने से लोगों की भावनाएं आहत हो गई हैं. यह बताता है कि असल में जातिवादी कौन हैं.

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एक कंटेंट मार्केटिंग कंपनी की सीईओ की सोशल मीडिया पर की गई दो शब्दों की पोस्ट ने बड़े पैमाने पर विचारों की लड़ाई का रूप ले लिया है. यह घटना तीन दिन पहले अनुराधा तिवारी द्वारा "ब्राह्मण जीन" के साथ अपनी एक तस्वीर पोस्ट करने के बाद हुई है. अपनी पोस्ट पर बढ़ती आलोचना और समर्थन के बीच, अनुराधा तिवारी ने शुक्रवार को एक फॉलो-अप पोस्ट भी शेयर किया. 

अपनी पोस्ट में अनुराधा तिवारी ने लिखा, "जैसा कि मैंने एक्सपेक्ट किया था केवल ब्राह्मण शब्द लिखने से लोगों की भावनाएं आहत हो गई हैं. यह बताता है कि असल में जातिवादी कौन हैं. अपर कास्ट को सिस्टम से कुछ नहीं मिलता - न आरक्षण, न फ्री में कुछ. हम सबकुछ खुद कमाते हैं और हमें अपनी lineage पर गर्व होना चाहिए. इसलिए आपको इससे डील करना होगा."

कुछ लोगों ने अनुराधा की इस पोस्ट को इनसेंसिटिव बताया तो वहीं अन्यों ने उन्हें सपोर्ट किया और आरक्षण को अनफेयर बताया. इसके बाद शनिवार को अनुराधा ने अपनी पोस्ट पर एक और पोस्ट शेयर किया. उन्होंने लिखा, "प्राउड दलित/मुस्लिम/आदिवासी - सही है. प्राउड ब्राह्मण - सही नहीं है. यहां पूरा एक सिस्टम काम कर रहा है जो ब्राह्मण को उनके होने पर गिल्टी महसूस करवाने की कोशिश कराता है. लेकिन अब इस नरेटिव को बदलने का वक्त है. अनअपोलोजेटिक ब्राह्मण बनें. गर्व से चलें. और तथाकथित सामाजिक न्याय योद्धाओं को जला दो". 

उनके विचारों का समर्थन करने वालों ने कहा कि उन्हें लंबे समय से चुप रहने के लिए मजबूर किया गया है, तथा यह कहने पर उन्हें "अपराधी" महसूस कराया गया कि वे ब्राह्मण हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियर विकास पांडे ने कहा, "मैं कई बातों से सहमत हूं, सिवाय दूसरों को कमतर मानने के. अगर कोई खुद को दूसरों से 'श्रेष्ठ' समझता है तो वह 'समानता' के लिए नहीं लड़ सकता." 

एक अन्य एक्स यूजर आशीष अरोड़ा ने लिखा, "मैं आपका पूरा समर्थन करती हूं. सरकार हमसे टैक्स वसूलती है और बदले में हमें कुछ नहीं मिलता." आज सुबह अनुराधा तिवारी ने ब्राह्मणों के बारे में प्रश्न पूछते हुए एक और पोस्ट लिखी. उन्होंने कहा, "आज ब्राह्मण अपना पूरा नाम बताने से डरते हैं. हमारे खिलाफ इतनी नफरत फैलाई गई है. सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने हमें खलनायक बना दिया है. हम किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिलती. हम कड़ी मेहनत करते हैं. हमें अपनी जाति पर शर्म क्यों आनी चाहिए?"

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उन्हें सैकड़ों एक्स यूजर्स से समर्थन मिला जो गुरुवार से ही उनकी पोस्ट पर कमेंट कर रहे थे. अनुराधा तिवारी की 22 अगस्त को की गई ऑरिजनल पोस्ट को अब तक 5.2 मिलियन बार देखा जा चुका है.

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