फूलों से सजी अर्थी, ढोल और बैंड बाजे... मंदसौर के खेतों से निकली 'प्याज की शवयात्रा'

फूलों से सजी एक अर्थी गांव के शमशान घाट पर प्याज के प्रतीकात्मक "अंतिम संस्कार" के साथ निकली, जो उन किसानों की ओर से एक बड़ा और सशक्‍त संदेश था, जो कहते हैं कि उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है.

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  • मंदसौर जिले के धमनार गांव के किसानों ने प्याज की कीमतें गिरने से नाराज होकर प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाली.
  • किसानों को प्याज के लिए मंडियों में 1-10 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं जबकि उत्पादन लागत 12 रुपए है.
  • एक किसान ने कहा कि प्याज की अंतिम यात्रा इसलिए निकाली जा रही है, क्‍योंकि हमें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं.
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भोपाल:

मध्‍य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक किसान की निराशा 'प्‍याज की शवयात्रा' के रूप में निकली. यह घटना जिले के धमनार गांव की है. कीमतें इतनी गिर गई कि प्‍याज का उचित भाव तो दूर की बात है किसान को उत्‍पादन लागत और परिवहन लागत भी नहीं मिल रही थी. इसी बात से नाराज होकर उन्‍होंने प्रतीकात्‍मक रूप से विरोध प्रदर्शन किया और प्‍याज की शवयात्रा निकाली. 

फूलों से सजी एक अर्थी गांव के शमशान घाट पर प्याज के प्रतीकात्मक "अंतिम संस्कार" के साथ निकली, जो उन किसानों की ओर से एक बड़ा और सशक्‍त संदेश था, जो कहते हैं कि उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है. प्‍याज के अंतिम संस्‍कार में ढोल और बैंड बाजे की भी व्‍यवस्‍था थी.  

लागत नहीं निकली तो कहां जाएंगे... फूटा किसानों का दर्द 

देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक क्षेत्रों में से एक मालवा-निमाड़ के किसानों का कहना है कि उन्हें मंडियों में अपनी उपज के लिए केवल एक रुपए से लेकर 10 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं. कई किसानों के लिए यह कीमत 1 से 2 रुपए प्रति किलोग्राम तक है, जबकि उत्पादन लागत ही 10 से 12 रुपए प्रति किलोग्राम है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. 

प्‍याज के प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार में शामिल किसान बद्री लाल धाकड़ ने कहा, "प्याज का जुलूस इसलिए निकाला जा रहा है क्योंकि हमें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. बहुत ज्‍यादा लागत लग गई है. अगर सरकार नहीं जागी तो हम क्या कर सकते हैं? अगर हमारी लागत ही नहीं निकल पाई तो हम कहां जाएंगे?"

'दूसरी फसल ज्‍यादा बारिश से तो अब प्‍याज भी मर गए' 

एक अन्य किसान देवीलाल विश्वकर्मा भावुक होकर बताते हैं कि उन्होंने प्याज का अंतिम संस्कार क्यों किया. उन्‍होंने कहा, "प्याज हमारे लिए बच्चों जैसा है, हमारे परिवार का हिस्सा. दूसरी फसल भी ज्‍यादा बारिश के कारण नष्ट हो गई. अब ये प्याज भी मर गए हैं, इसलिए हमने उनका अंतिम संस्कार किया. सरकार इतनी कीमत भी नहीं दे रही है कि जिससे हमारी लागत भी निकल सके."

किसानों का कहना है कि प्याज पर लंबे समय से लगे 25% निर्यात शुल्क ने भारतीय प्याज को विदेश में प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया है. इसका परिणाम है कि निर्यात में भारी गिरावट आई है. देश में स्टॉक जमा हो गया है और मंडी में कीमतें गिर गई हैं. 

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उनका दावा है कि बार-बार अपील के बावजूद केंद्र ने निर्यात शुल्क कम नहीं किया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री हैं. 

कलेक्‍टर के माध्‍यम से सरकार को सूचित करेंगे: तहसीलदार 

तहसीलदार रोहित सिंह राजपूत को किसानों को ज्ञापन दिया. उन्‍होंने कहा, "किसान मूल्य वृद्धि चाहते हैं. सरकार को समर्थन मूल्य पर प्याज खरीदना चाहिए. उन्होंने ज्ञापन दिया है. कुछ अंतिम संस्कार भी हुए हैं. इसकी सूचना कलेक्टर को दी जाएगी और उनके माध्यम से सरकार को भी सूचित किया जाएगा."

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कृषि का लेकर विरोध के लंबे इतिहास वाले मंदसौर जिले के किसानों ने चेतावनी दी है कि यह 'अंतिम संस्कार' तो बस शुरुआत है. उनका कहना है कि अगर निर्यात शुल्क नहीं हटाया गया और उचित मूल्य जल्द ही सुनिश्चित नहीं किए गए तो वे पूरे क्षेत्र में अपना आंदोलन तेज कर देंगे. 

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