भारत की राजनीति के दिग्गज राजनेता शरद पवार ने अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च, बीते दिनों में संसद में हुए गतिरोध सहित कई मुद्दों को लेकर NDTV से बात की. उन्होंने NDTV से खास बातचीत के दौरान यह स्पष्ट किया कि वह बड़े व्यापारिक घरानों को निशाना बनाने शैली से सहमत नहीं हैं.
पवार ने NDTV से कहा, "यह काफी अर्थहीन था. "इस देश में कई साल से ऐसा हो रहा है. मुझे याद है कि कई साल पहले जब हम राजनीति में आए थे तो हमें सरकार के खिलाफ बोलना होता था तो टाटा-बिड़ला के खिलाफ बोलते थे. निशाना कौन था? टाटा-बिड़ला. जब हम टाटा के योगदान को समझते थे तो आश्चर्य करते थे कि हम टाटा बिड़ला क्यों कहते रहे. लेकिन किसी को निशाना बनाना था तो टाटा-बिड़ला को निशाना बनाते थे."
NCP प्रमुख ने NDTV से खास बातचीत में कहा, "आज टाटा-बिड़ला का नाम सबसे आगे नहीं है, अलग टाटा-बिड़ला सरकार के सामने आ गए हैं. इसलिए इन दिनों अगर सरकार पर हमला करना है तो अंबानी और अदाणी का नाम लिया जाता है. सवाल यह है कि जिन लोगों को आप निशाना बना रहे हैं, उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें रोका जाए. लोकतंत्र में आपको खिलाफ बोलने का 100 फीसदी अधिकार है. लेकिन बिना किसी मतलब के हमला करना, यह मेरे समझ से पड़े हैं."
पवार ने आगे कहा, "आज, अंबानी ने पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में योगदान दिया है, क्या देश को इसकी आवश्यकता नहीं है? बिजली के क्षेत्र में, अदाणी ने योगदान दिया है. क्या देश को बिजली की आवश्यकता नहीं है? ये ऐसे लोग हैं जो इस तरह की जिम्मेदारी लेते हैं और इसके लिए काम करते हैं." देश का नाम, अगर उन्होंने गलत किया है तो आप हमला कीजिए, लेकिन उन्होंने ये इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है, उनकी आलोचना करना मुझे ठीक नहीं लगता.'
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