जान-बूझकर की जा रही है देरी : मोदी सरनेम केस में राहुल को मिली राहत पर अभिषेक मनु सिंघवी

कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एनडीटीवी से कहा कि मोदी सरनेम केस में जो याचक थे, वे जानबूझकर अनुपस्थित थे. अगर वे सोमवार को उपस्थित होते तो केस के 5-7 दिन कम हो जाते. आगे भी लग रहा है कि जानबूझकर विलंब ही करेंगे.

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अभिषेक मनु सिंघवी ने एनडीटीवी से की खास बातचीत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की सत्र अदालत ने मानहानि के मामले में सोमवार को जमानत दे दी. इस केस को लेकर कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एनडीटीवी से कहा कि इस मामले में जो याचक थे, वे जानबूझकर अनुपस्थित थे. अगर वे सोमवार को उपस्थित होते तो केस के 5-7 दिन कम हो जाते. छुट्टियां बीच में होने के बावजूद न्यायालय ने आदेश दिया कि 10 से पहले जवाब दें और 13 को सुनवाई हो. 

 उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे बीजेपी है, जानबूझकर विलंब करवा रहे हैं. न्यायालय ने आदेश दिया है कि 10  तारीख से पहले जवाब दें. मेरा विश्वास है कि अब भी जानबूझकर विलंब किया जाएगा, 10 से पहले वे तैयार नहीं होंगे. 23  मार्च को जब निर्णय आया था तब राहुल गांधी की सजा पर स्टे कर दिया गया था. आज वो खुद पेश थे और बेल मिल गई. हमारा पूरा फोकस स्टे ऑफ कनविक्शन पर होना चाहिए और है भी, जैसे ही ये होता है परिणामस्वरूप जो डिस्क्वालिफिकेशन हुआ है, हट जाता है. ये कानून स्थापित है. फिलहाल जो परिस्थितियां हैं 9-10 दिन का और विलंब है. हम आशा करते हैं कि 10 से पहले वे जवाब देंगे और 13 अप्रैल को सुनवाई होगी और इसके आसपास ही फैसला आ जाना चाहिए. 

उन्होंने आगे कहा कि ये हमें बताने वाले कौन होते हैं कि हमने अवमानना की. क्या किया है हमने, कांग्रेस ने क्या किसी प्रक्रिया को रोका है क्या. राहुल को सदन में बोलने से रोकन का प्रयास किया गया. अब भी यही कोशिश कर रहे हैं कि उनके साथ कौन जाए और कौन नहीं जाए. क्या किया किसी मुख्यमंत्री या प्रियंका गांधी ने. क्या किसी काम में विघ्न डाला या नारेबाजी की?

सिंघवी ने आगे कि उन्हें लगता है कि 10 तारीख को और समय मांगा जाएगा. ये सब जानबूझकर किया जा रहा है, लेकिन हम अदालती प्रक्रिया में विश्वास करते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अयोग्य घोषित करना अनिवार्य है, लेकिन तुरंत ही हो, ऐसा नहीं लिखा है. कुछ समय तो मिलता ही है, वो तो देना ही चाहिए. वो समय नहीं दिया गया. कनविक्शन के बाद डिस्क्वालिफिकेशन तुरंत नहीं होता.  सरकार ने कभी मानहानि के नाम पर धमकाया तो कभी किसी चीज के नाम पर. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि विपक्ष एकजुट हुआ है. उन्होंने आखिर में कहा कि सुशासन का मतलब आप कानून की आत्मा के अनुसार चलिए. अगर ऐसा नहीं होगा तो लोग कोर्ट जाएंगे ही. 

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आपको बता दें कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 2019 में मोदी सरनेम को लेकर टिप्‍पणी की थी, जिसे लेकर उन्‍हें सजा सुनाई गई थी. इस सजा के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. इसके बाद से ही बीजेपी और कांग्रेस में ठनी हुई है और दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. 

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