आप आदी पार्टी ने कहा कि लोगों को मुफ़्त बिजली, पानी, परिवहन फ्री बी नहीं हैं. बल्कि ये राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं. आप ने मुफ्त उपहार की घोषणा करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की याचिका खारिज करने की मांग की. मुफ्त की योजनाओं के बचाव में आम आदमी पार्टी SC पहुंची है. मामले में खुद को भी पक्ष बनाए जाने की मांग की है. इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है. आप ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को बीजेपी का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. इस मामले में आगे 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. आप ने उस जनहित याचिका का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें चुनाव से पहले मुफ्त उपहार देने के लिए राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है.
कुछ दिन पहले ही अदालत ने कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल मुफ्त उपहारों पर संसद में बहस नहीं चाहता है, क्योंकि सभी इसे जारी रखना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा था कि सभी दलों को मुफ्त उपहारों से सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बारे में सोचना चाहिए.भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा फ्री बी पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई का आग्रह करते हुए आप ने कहा है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली या मुफ्त सार्वजनिक परिवहन जैसे चुनावी वादे "मुफ्त उपहार" नहीं हैं, बल्कि एक समानता वाले समाज बनाने की दिशा में राज्य की जिम्मेदारियों और संवैधानिक" कर्तव्य के उदाहरण हैं.
इससे पहले तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 'मुफ्त की रेवडी क्लचर' पर कहा था कि सरकार और चुनाव आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे. देश भर में चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने के लिए कई तरह के लोकलुभावन ऐलान करती हैं. खास कर हर चीज़ मुफ्त में बांटने का प्रचलन सा चल चल पड़ा है. इसे आम भाषा में ‘रेवड़ी कल्चर' कहा जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने फ्री बी यानी ‘रेवड़ी कल्चर से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की थी. कोर्ट ने कहा था कि इसमें केंद्र, विपक्षी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग , आरबीआई और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निकाय में फ्री बी पाने वाले और इसका विरोध करने वाले भी शामिल हों. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा ये मुद्दा सीधे देश की इकानॉमी पर असर डालता है. इस मामले को लेकर एक हफ्ते के भीतर ऐसे विशेषज्ञ निकाय के लिए प्रस्ताव मांगा गया है. अब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
ये भी पढ़े:
- भारत 12 हजार से कम मूल्य में उपलब्ध चीनी फोन पर लगाना चाहता है प्रतिबंध : रिपोर्ट
- "नए रिकॉर्ड बना रहे हैं नीतीश कुमार..." : चिराग पासवान ने बिहार के सीएम पर कसा तंज
- Video: डीजे की म्यूजिक पर डांस कर रहे कांवड़ यात्री आए हाइटेंशन तार की चपेट में, 1 की दर्दनाक मौत
VIDEO: महाराष्ट्र में कल कैबिनेट विस्तार, BJP और एकनाथ शिंदे खेमे के विधायक लेंगे शपथ: सूत्र