डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्‍सीन की 50 प्रतिशत प्रभावशीलता खराब परिणाम नहीं है: विशेषज्ञ

कोवैक्सीन के प्रथम वास्तविक विश्व आकलन के नतीजे बुधवार को द लांसेट इंफेक्शियस डिजिजेज जर्नल में प्रकाशित हुए, जिसमें बताया गया है कि टीके की दो खुराक संक्रमण के लक्षण वाले रोग में 50 प्रतिशत प्रभावी हैं.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
डेल्टा स्वरूप भारत में कोविड का सबसे प्रबल स्वरूप था
नई दिल्ली:

वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत के स्वदेश विकसित कोविड-19 टीके कोवैक्सीन (Covaxin) की प्रभाव क्षमता इस साल अप्रैल व मई में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप (delta variant) के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ने के दौरान 77.8 से घट कर 50 प्रतिशत हो जाना खराब या चौंकाने वाली बात नहीं है. आंकड़ों में अंतर से कुछ चिंता पैदा हुई है लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे दूर करने की कोशिश करते हुए डेल्टा स्वरूप की क्षमता, भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर की तीव्रता और स्वास्थ्य कर्मियों (health workers) के संक्रमित होने के स्तर का जिक्र किया है. कोवैक्सीन के प्रथम वास्तविक विश्व आकलन के नतीजे बुधवार को द लांसेट इंफेक्शियस डिजिजेज जर्नल में प्रकाशित हुए, जिसमें बताया गया है कि टीके की दो खुराक संक्रमण के लक्षण वाले रोग में 50 प्रतिशत प्रभावी हैं. टीके को बीबीवी152 (BBV152) नाम से भी जाना जाता है.

दिसंबर में आ सकती है COVID-19 की माइल्ड तीसरी लहर: महाराष्ट्र स्वास्थ्य मंत्री

अध्ययन में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के 2,714 कर्मियों का 15 अप्रैल से 15 मई तक आकलन किया गया, जिनमें संक्रमण के लक्षण थे और जिनकी आरटी-पीसीआर जांच की गई. इससे पहले, तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के आधार पर एक अंतरिम अध्ययन में यह प्रदर्शित हुआ था कि कोवैक्सीन की दो खुराक की 77.8 प्रतशित कारगरता, संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों में है और इससे कोई गंभीर सुरक्षा चिंता नहीं है. पुणे के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान की विनीता बल ने कहा, ‘‘आंकड़ों में इस गिरावट का एक कारण संक्रमण का समय हो सकता है जब डेल्टा स्वरूप सर्वाधिक प्रबल था. 77 प्रतिशत का आंकड़ा वुहान स्वरूप के लिए है. आमतौर पर सभी टीके वुहान स्वरूप की तुलना में डेल्टा स्वरूप के खिलाफ आंशिक रूप से कुछ कम प्रभावी हैं.''

प्रतिरक्षा विज्ञानी सत्यजीत रथ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि दो अध्ययनों के बीच (टीके से) सुरक्षा के स्तर में कमी आना एक वास्तविक अंतर है. नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान से संबद्ध रथ ने कहा, ‘‘हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि पहले वाला कारगरता का परीक्षण था, जबकि यह प्रभाव क्षमता का अध्ययन है.'' रथ ने कहा, ‘‘मुझे इसमें सुरक्षा का स्तर खराब नजर नहीं आता है.'' कारगरता, वह स्तर है जिससे टीका रोग को और संभवत: संक्रमण को आदर्श एवं नियंत्रित परिस्थितियों में रोकता है, जबकि प्रभाव क्षमता यह बताती है कि टीका वास्तविक दुनिया में कैसा काम करता है.

Advertisement

प्रतिरक्षा विज्ञानी बल ने इस बात का जिक्र किया कि टीके की प्रभाव क्षमता संक्रामक रोग के दौरान बीमारी की गंभीरता के बारे में भी है. बल ने कहा, ‘‘यदि मामलों की गंभीरता में काफी कमी हो जाती है तो 50 प्रतिशत भी उपयोगी कारगरता है, यह खराब स्वास्थ्य ढांचे पर भार घटा सकती है.'' उन्होंने कहा कि मूल 77.8 प्रतिशत कारगरता संक्षिप्त अवधि के डेटा संग्रह पर आधारित है जो टीके की आपात उपयोग मंजूरी पाने के लिए किया गया था. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डेल्टा स्वरूप अध्ययन अवधि के दौरान भारत में कोविड का सबसे प्रबल स्वरूप था और संक्रमण के 80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार था. कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान-भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (एनआईवी-आईसीएमआर), पुणे के सहयोग से विकसित किया है.

Advertisement

कोविड-19 टीकों की परस्पर मान्यता से अंतरराष्ट्रीय यात्रा आसान बनाई जाए: पीएम मोदी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Election Results: Animation से समझिए महाराष्ट्र में सीटों का गणित
Topics mentioned in this article