खेत में पड़े मिले बाघ के 4 बच्चे, वन विभाग के 300 कर्मियों की टीम कर रही है मां बाघिन की तलाश

वन विभाग ने कई जगह ट्रैप कैमरा लगा दिए हैं, और 300 सदस्यों की एक टीम बाघिन को तलाश कर रही है. बताया गया है कि उन्हें बाघिन के पंजों के निशान मिले हैं, और उम्मीद है कि बाघिन को जल्द ही ढूंढ लिया जाएगा.

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बाघशावकों को पशु चिकित्सा केंद्र में रखा गया है...
हैदराबाद:

आंध्र प्रदेश में नांदयाल-कुरनूल इलाके के वनाधिकारी पिछले 72 घंटे से एक बाघिन की तलाश कर रहे हैं, ताकि उसके चार बच्चों (शावकों) को उसे लौटाया जा सके. ये चार बाघशावक (बाघ के बच्चे) एक खेत में किसानों को पड़े मिले थे. आवारा कुत्तों से उन्हें बचाने के लिए पहले उन्हें एक अस्थायी शेल्टर में रखा गया. फिर वन विभाग को सूचना दिए जाने के बाद उन्हें एक पशु चिकित्सा केंद्र ले जाया गया.

ग्रामीणों को इस बात की चिंता है कि अपने बच्चे खो जाने की वजह से नाराज़ बाघिन अब आक्रामक हो सकती है.

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वन विभाग ने कई जगह ट्रैप कैमरा लगा दिए हैं, और 300 सदस्यों की एक टीम बाघिन को तलाश कर रही है. बताया गया है कि उन्हें बाघिन के पंजों के निशान मिले हैं, और उम्मीद है कि बाघिन को जल्द ही ढूंढ लिया जाएगा. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बाघिन टी-108 हो सकती है.

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ के इन बच्चों को चिड़ियाघर में भेजा जाना 'अंतिम विकल्प' होगा. उनका इरादा इन बच्चों को उनकी मां से मिलाने का है, और उम्मीद है कि बाघिन इन्हें स्वीकार कर लेगी और वापस जंगल में ले जाएगी. 

वनाधिकारी शांतिप्रिया पांडे ने समाचार एजेंसी PTI से कहा, "क्या हम उन्हें (बाघशावकों को) कुछ वक्त के लिए खुद पालेंगे, और फिर उन्हें चिड़ियाघर या अस्थायी बाड़े में रखेंगे...? इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority या NTCA) से कई अनुमतियों की ज़रूरत पड़ेगी... प्रोटोकॉल के मुताबिक, हमें एक समिति बनानी होगी, जिसका अध्यक्ष मुख्य वन्यजीव वॉर्डन द्वारा नामित व्यक्ति होगा..."

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शांतिप्रिया पांडे का कहना है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए काफी सावधानी बरत रहे हैं कि शावकों पर किसी तरह की मानव संपर्क की छाप न रह जाए, क्योंकि इससे वन या जंगल की छाप खत्म हो सकती है, और इसी वजह से बाघिन उन्हें छोड़ सकती है.

वन अधिकारियों के अनुसार, ने अनाथ या छोड़ दिए गए शावकों को संभालने के लिए NTCA द्वारा बनाए गए प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन कर रहे हैं.

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वन अधिकारी के मुताबिक, इन बाघशावकों को बचने की उम्मीद तभी ज़्यादा है, जब वे जमगल में लौट जाएंगे.

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