31 अक्टूबर या 1 नवंबर... किस दिन बनाई जाएगी दीवाली? बद्रीनाथ-केदारनाथ समिति ने कर दी घोषणा

कुछ सालों से त्यौहार को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत होने से लोगों के मन में शंखाएं उत्पन्न होती रही हैं. उसी तरह इस बार भी दीवाली को लेकर लोगों में अलग-अलग मत हैं.

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नई दिल्ली:

दीपों का त्योहार दीपावली दो दिनों बाद ही है, लेकिन अब भी कई जगह कन्फ्यूजन इस बात को लेकर है कि ये पर्व किस दिन मनाया जाएगा? लोगों के मन में ये संशय है कि दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा या फिर एक नवंबर को, सोशल मीडिया पर भी इस पर्व को मानने को लेकर 31 अक्टूबर और 1 नवंबर की तिथि खूब वायरल हो रही है. इधर बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इस शंका को दूर करते हुए घोषणा की है कि इस बार केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में एक नवंबर को ही दीवाली का पर्व मनाया जाएगा और वहां दीये जलाए जाएंगे.

वहीं उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में भी एक नवंबर को दीवाली मनाई जाएगी.

एक नवंबर को दीवाली का पर्व मनाए जाने को लेकर बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने आदेश भी जारी किया है, जिसमें लिखा है कि धर्माधिकारी श्री बद्रीनाथ मंदिर के अनुसार एक नवंबर 2024 को संपूर्ण उत्तराखंड में दीवाली मनाया जाना तय किया है.

दीवाली को लेकर लोगों में अलग-अलग मत

दरअसल बीते कुछ सालों से त्यौहार को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत होने से लोगों के मन में शंखाएं उत्पन्न होती रही हैं. उसी तरह इस बार भी दीवाली को लेकर लोगों में अलग-अलग मत हैं, ऐसे में हल्द्वानी में प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने हल्द्वानी क्षेत्र के जाने-माने विद्वान ज्योतिषाचार्यों को एक मंच पर आमंत्रित किया.

सभी विद्वानों ने एक मत होकर कहा कि इस साल दीपावली एक नवंबर को ही मनाई जाएगी. सभी सम्मानित ज्योतिषाचार्यो ने एक मत होकर पहले नवंबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है. ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि देश भर के 250 पंचांगों में से 180 पंचांगों का बहुमत एक नवंबर ही दीपावली मनाने के पक्ष में है, इसलिए उत्तराखंड में भी एक नवंबर को ही दीपावली मनाई जाएगी.

पंचांगों में एक नवंबर को ही दीवाली मनाए जाने का निर्णय

वहीं उत्तराखंड के स्थानीय पंचांगों में एक नवंबर को ही दीवाली पर्व मनाए जाने का निर्णय दिया गया है. शास्त्रीय विधि और पंचांगों के आधार पर दीवाली पर्व उत्तराखंड में पहले से ही निश्चित है कि एक नवंबर को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्य उदय और सूर्यास्त को देखते हुए शास्त्रीय विधि से एक नवंबर को प्रदोष काल में दीपावली मनाई जाएगी. साथ ही महालक्ष्मी का व्रत भी उसी दिन होगा.

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