स्वास्थ्य मंत्रालय की ऑनलाइन खरीददारी करने की सलाह पर व्यापारी संगठन नाराज

सीटीआई ने कहा- ई कॉमर्स कंपनियों के दवाब में है केन्द्र सरकार, देश के आठ करोड़ और दिल्ली के नौ लाख खुदरा व्यापारियों पर कुठाराघात, दिवाली के सीजन में इस तरह की सलाह से रिटेल कारोबारियों का होगा नुकसान

स्वास्थ्य मंत्रालय की ऑनलाइन खरीददारी करने की सलाह पर व्यापारी संगठन नाराज

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

कुछ दिनों पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक विज्ञापन के माध्यम से लोगों से कोविड से सुरक्षा के लिए बाजारों में न जाकर ऑनलाइन खरीददारी करने का आग्रह किया गया है. इसका व्यापारियों के संगठन चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने विरोध किया है. सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा है कि एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  लोकल पर वोकल पर जोर देते हुए देश की जनता से ज्यादा से ज्यादा देशी  सामान खरीदने की अपील करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ उसी सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय लोगों से घर बैठे ऑनलाइन खरीददारी करने का आग्रह करके प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने के विपरीत जाकर लोगों को सलाह दे रहा है. 

सीटीआई ने कहा है कि स्वास्थ्य  मंत्रालय का यह निर्णय व्यापारियों को बेहद नागवार गुजरा है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिया गया विज्ञापन सीधे तौर पर  देश के आठ करोड़ और दिल्ली के नौ लाख खुदरा व्यापारियों  पर कड़ा आघात है और  सीधे तौर पर भारत के संविधान में निहित मौलिक अधिकार का उल्लंघन है जो किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकता है और ऑनलाइन एवं ऑफलाइन व्यापारियों में भेदभाव करता है.  

बृजेश गोयल ने कहा कि केन्द्र सरकार पूरी तरह से ई कॉमर्स कंपनियों के दवाब में काम कर रही है. पिछले 5 साल से व्यापारी एक ई कॉमर्स रेगुलेटरी ऑथॉरिटी का गठन करने की मांग कर रहे हैं जिस पर केन्द्र सरकार ध्यान नहीं दे रही है.

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सीटीआई के महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने बताया कि ई कॉमर्स पर सरकार का कोई स्पष्ट रुख न होने के कारण देश भर के व्यापारियों में बेहद भ्रम की स्तिथि है. एक तरफ केंद्रीय वाणिज्य मंत्री  पियूष गोयल जोरदार शब्दों में देश के क़ानून एवं नियमों का पालन करने की बात समय-समय पर कर रखें हैं वहीं दूसरी ओर पहले नीति आयोग, फिर सरकार के कुछ मंत्रालय और अब स्वास्थ्य  मंत्रालय ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा दे रहा है. कोई भी सरकारी निकाय यह नहीं कह रहा कि विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को कानून और नियमों का पालन करना चाहिए नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. साफ़ तौर पर सरकार अथवा सम्बंधित सरकारी विभाग देश के नियमों और कानून की रक्षा करने में बेहद असफल साबित हुए हैं. यह एक कटु सत्य है. 

उन्होंने कहा है कि न जाने विदेशी कंपनियों का सरकार पर क्या दवाब है जिसके कारण किसी भी विषय पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है.   भारत का वर्तमान ऑनलाइन व्यवसाय विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों के अस्वस्थ व्यापारिक नीतियों के चलते अत्यधिक दूषित हो चुका है तथा इन कंपनियों ने देश के कानूनों और नियमों की अवहेलना करने और अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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विदेशी निवेश वाली ऑनलाइन कंपनिया सस्ते दामों पर माल बेचकर देश के ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है और त्योहारों के समय ही अच्छी बिकवाली की उम्मीद में बैठे देश के रिटेल व्यापारियों के साथ ये बड़ा धोखा है जो कि पिछले साल और इस साल दोनों समय में कोविड के वक्त सरकार के साथ मजबूती से खड़े रहे हैं. अपने देश के व्यापारियों की रोजी रोटी पर सरकार के इस सीधे आघात को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.