अबू सलेम की उम्रकैद के खिलाफ याचिका पर केंद्र के हलफनामे से SC नाराज़

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में लिखे कई वाक्यों पर आपत्ति जताई.

Advertisement
Read Time: 27 mins
नई दिल्ली:

अबू सलेम की उम्रकैद के खिलाफ याचिका पर केंद्र सरकार के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई है. सलेम की याचिका प्री मेच्योर होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने नकार दिया है. कोर्ट ने हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार न्यायपालिका को भाषण ना दे. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में लिखे कई वाक्यों पर आपत्ति जताई. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं, फैसला आपको करना है आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं.  ये क्या है? हमें ये कहते हुए खेद है कि गृह सचिव हमें ये ना बताएं कि हमें ही अपील पर फैसला लेना है. 

केंद्र सरकार को हलफनामे में सोच समझ कर लिखना चाहिए. हम हलफनामे में लिखे कई वाक्य अच्छे नहीं लगे. आपने एक जगह लिखा है कि आप उपयुक्त अवसर पर निर्णय लेंगे. आप हर समय गेंद हमारे पाले में ही डाल देते हैं . इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा  दाखिल किया था. कहा, सलेम की जेल की सजा पर पुर्तगाल को आश्वासन देने का सवाल 2030 में ही उठेगा . 

सलेम की  भारत द्वारा "आश्वासन का पालन न करने" के आधार पर रिहाई की मांग करना "समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है.  MHA ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अबू सलेम के संबंध में पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन से बाध्य है. लेकिन इसे पूरा करने का सवाल तभी उठेगा जब मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस के दोषी को 25 साल की जेल पूरी होगी. ये समय  10 नवंबर, 2030 को पूरा होगा.  अदालत सरकार द्वारा किए गए किसी आश्वासन को लेकर बाध्य नहीं है.  केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने दाखिल हलफनामे में कहा है कि भारत द्वारा "आश्वासन का पालन न करने" के आधार पर सलेम की रिहाई की मांग "समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित" है .

Advertisement

दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया था . अदालत ने केंद्रीय गृह सचिव  को 18 अप्रैल तक का समय दिया था . सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामा दाखिल ना करने पर नाराज़गी जताई थी .जस्टिस संजय किशन कौल ने SG तुषार मेहता से कहा था कि अगर गृह सचिव के पास हलफनामा दाखिल करने का समय नहीं है तो हम उन्हें यहां बुला लेंगे. सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा की ओर इशारा करते हुए SG ने कहा कि  सलेम मुंबई सीरियल ब्लास्ट में  अपराधी है.  वह कोर्ट या सरकार के लिए शर्त नहीं दे सकता. 

Advertisement

जस्टिस कौल ने कहा था कि हम इस व्यक्तिगत मामले पर नहीं, बल्कि इसके प्रभावों पर हैं. यह अन्य प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है. तुषार मेहता ने कहा था कि ऐसी टिप्पणी न करें. यह अन्य मामलों में आपके लिए चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए. प्रेस इसकी रिपोर्ट कर सकता है. जस्टिस कौल ने कहा कि उन्हें इसकी रिपोर्ट करने दीजिए. हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. इससे पहले  गैंगस्टर अबु सलेम की ओर से मुंबई सीरियल ब्लास्ट और प्रदीप जैन से जबरन वसूली के मामले में दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर  केंद्रीय गृह सचिव का हलफनामा दाखिल नहीं हो पाया  था.  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि इस मामले पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से मौखिक जानकारी लेकर उसे कोर्ट तक पहुंचाया जाए . इसके बाद SG मेहता कोर्ट में पेश हुए  थे. 

Advertisement

इससे पहले दो फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की मिली उम्रकैद की सजा पर केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या यह सजा सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ नहीं है? भारत सरकार ने दिसंबर 2002 को पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया था कि सलेम की कारावास 25 साल से अधिक नहीं हो सकती. सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ से कहा था कि टाडा अदालत द्वारा सलेम को आजीवन कारावास की सजा देने का फैसला भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ है. 

Advertisement

मल्होत्रा ने कहा कि टाडा कोर्ट का कहना था कि वह सरकार के आश्वासनों से बाध्य नहीं है.  सुप्रीम कोर्ट के पास इस संबंध में व्यवस्था देने की शक्ति है . इसके अलावा वकील ऋषि मल्होत्रा ​​​​ने यह भी कहा था कि सलेम को 2002 में पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया था और उसकी सजा पर उस तारीख से विचार किया जाना चाहिए न कि 2005 से जब उसे भारतीय अधिकारियों को सौंपा किया था. मल्होत्रा की दलील पर पीठ ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और CBI को सलीम की ओर से उठाए गए इन मसलों पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.  सलेम के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों में सीबीआई अभियोजन एजेंसी है जबकि तीन मामलों में महाराष्ट्र सरकार.  

18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था. दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया.   सलेम को प्रदीप जैन हत्याकांड, बॉम्बे बम विस्फोट मामले और अजीत दीवानी हत्याकांड में प्रत्यर्पण दिया गया था . 11 नवंबर 2005 को जैसे ही सलेम को भारत लाया गया, उसे बॉम्बे बम विस्फोट मामले में CBI  ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में आतंकवाद विरोधी दस्ते, मुंबई द्वारा हिरासत में ले लिया.  प्रदीप जैन हत्याकांड टाडा कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 

ये भी पढ़ें-

असम पुलिस ने गुजरात विधायक जिग्नेश मेवानी को किया गिरफ्तार, गुवाहाटी ले जाया जाएगा

दिल्‍ली के जहांगीरपुरी में थमे बुलडोज़र, आज होनी है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : 10 बड़ी बातें

दिल्‍ली: स्‍थानीय भाजपा नेता की गोली मारकर हत्‍या, घर के सामने मिला खून से सना शव 

ये भी देखें-देश प्रदेश: महाराष्‍ट्र में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक पोस्‍ट की भरमार, साइबर सेल कार्रवाई में जुटी

Featured Video Of The Day
Exit Polls 2024: Kashmir को मिलेगा पहला हिंदू मुख्यमंत्री? BJP नेता Nirmal Singh ने बताया
Topics mentioned in this article