Parenting Tips : हर माता पिता के लिए लाइफ की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती अपने बच्चे की सही तरीके से परवरिश करना, आज की व्यस्त लाइफस्टाइल (Lifestyle) में बहुत से माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल सही तरीके से नहीं कर पाते हैं लेकिन आपका अपने बच्चे से बात करने का तरीका, उन्हें अच्छे कामों में सपोर्ट करने का तरीका या गलत काम के लिए उनसे बात करने का तरीका, यह सब बच्चे की पर्सनैलिटी और मेंटल हेल्थ (Parenting Styles) पर गहरा असर डालते हैं. कुछ लोगों की परवरिश उनके बच्चों को कॉन्फिडेंट बनाती हैं लेकिन यदि बच्चे की परवरिश गलत तरीके से हो तो यह बच्चे को मानसिक रूप (Mental Health) से रोगी बना सकती है. आज हम आपको कुछ ऐसे पेरेंटिंग स्टाइल के बारे में बताते हैं. जिसकी वजह से भविष्य में बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
किन बातों का ध्यान रखें माता-पिता (Parents Keep These Things In Mind)
1. बच्चे की फीलिंग्स को नजरअंदाज करना
काम की व्यस्तता के कारण कुछ लोग अपने बच्चों की बेसिक जरूरतों को तो पूरा करते हैं लेकिन फीलिंग्स को इग्नोर कर देते हैं. फीलिंग्स और प्यार के बिना बच्चे आगे जाकर खुद को इनएलिजिबल समझने लगते है. ऐसे बच्चे बड़े होकर किसी से भी भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाते हैं. इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है. ऐसा होने पर बच्चों को सेल्फ रिस्पेक्ट और करीबी रिश्ते बनाने में परेशानी होती है.
2. ऑथोरिटेरियन पेरेंटिंग
इस तरह की पेरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चों के ऊपर सख्त नियम थोपे जाते हैं और गलती पर उन्हें सख्त सजा देते है. ऐसा होने पर उनके मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है. इस तरह के बच्चे पेरेंट्स का सम्मान करने की जगह पर उनसे डरने लगते हैं. उन्हें यह महसूस होने लगता है कि वे हमेशा कड़ी निगरानी में हैं और किसी भी वक्त सजा का सामना कर सकते हैं. इससे बच्चे बेचैन और असुरक्षित महसूस करते हैं और उनके मन में तनाव और अविश्वास पैदा हो सकता है. ऐसे माहौल में उनका आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.
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3. गैर जिम्मेदार होना
कुछ कपल्स सोसायटी के दबाव या परिवार के दवाब में बच्चे का फैसला करते हैं. जबकि उन्हें खुद बच्चे की चाहत नहीं होती. इस स्थिति में, वे बच्चे की परवरिश में पूरी तरह से शामिल नहीं हो पाते. इसका परिणाम यह होता है कि बच्चा खुद को नजरअंदाज महसूस करता है और उसे यह लगता है कि उसे भावनात्मक सपोर्ट और देखभाल नहीं मिल रही है. इससे बच्चे का सेल्फ कॉनफिडेन्स कम हो सकता है और उसे असुरक्षा का अनुभव हो सकता है जो उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है.
4. अपने सपने बच्चों से पूरे करवाने का दवाब
कुछ माता-पिता अपने बच्चों का इस्तेमाल अपने सपने को पूरा करने के लिए करते हैं. जो बच्चों के मेंटल और इमोशनल डेवलपमेंट पर नेगेटिव इफ़ेक्ट डालता है. ऐसे बच्चे अक्सर खुद को कम आंका हुआ महसूस करते हैं क्योंकि उनकी इच्छाओं और आकांक्षाओं की अनदेखी की जाती है. इस प्रकार के अनुभव से उन्हें आत्म-सम्मान में कमी हो सकती है. समय के साथ, यह नाराजगी और डिप्रेशन की ओर भी बढ़ सकता है, जो उनके जीवन के दूसरे एस्पेक्ट्स में भी नेगेटिव इफ़ेक्ट डालता है.
5. अहंकार की भावना
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों की सक्सेस का श्रेय खुद को देते हैं और मानते हैं कि यह उनकी मेहनत का परिणाम है. ऐसे माता-पिता बच्चों पर अपनी इच्छाओं को थोपते हैं और उन्हें अधिक से अधिक उपलब्धियां हासिल करने का दबाव डालते हैं. इस प्रक्रिया में बच्चों को केवल उनकी उपलब्धियों के आधार पर आंका जाता है न कि उनके व्यक्तित्व या भावनाओं के लिए. परिणामस्वरूप, बच्चे तनाव महसूस करते हैं और अपनी असल पहचान, सपनों और इच्छाओं के बारे में कन्फ्यूज हो सकते हैं, जिससे उनका मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर असर हो सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)