World mental health day 2025 : क्यों युवाओं में बढ़ रहे डिप्रेशन के मामले? जानें वजह और बचने के उपाय

युवाओं के लिए यह समझना आवश्यक है कि मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी नहीं, बल्कि इंसान की वास्तविक ताकत है. जिस तरह शरीर की बीमारी का इलाज संभव है, वैसे ही मन की उलझनों का भी समाधान है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और डिजिटल डिटॉक्स को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए.

Mental health day 2025 : हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना और यह समझाना कि मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर होती हैं जितनी शारीरिक बीमारियां. लेकिन चिंताजनक बात यह है कि आज के युवा तेजी से डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. इसके पीछे का कारण और उबरने का तरीका क्या है, आइए जानते हैं...

युवाओं की मेंटल हेल्थ खराब होने का कारण

तेज रफ्तार जीवनशैली, सोशल मीडिया का दबाव, करियर की अनिश्चितता और रिश्तों में अस्थिरता, ये सब युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं. आज का युवा लगातार खुद की तुलना दूसरों से करता है.

यह भी पढ़ें

हर दिन सुबह बादाम खाने के हैं 8 गजब के फायदे, जानिए यहां

इंस्टाग्राम पर परफेक्ट लाइफ दिखाने की होड़ में वह अंदर से खालीपन महसूस करने लगता है. नौकरी का तनाव, पढ़ाई का दबाव, परिवार की अपेक्षाएं और असफलता का डर उसकी सोच को घेर लेते हैं. यही कारण है कि 16 से 30 वर्ष की उम्र के बीच डिप्रेशन के मामले सबसे अधिक बढ़ रहे हैं.

इसके अलावा, नींद की कमी, खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, और डिजिटल लत भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं. दिन-रात मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन में डूबे रहना न सिर्फ आंखों बल्कि दिमाग को भी थका देता है.

वहीं, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में अभी भी कलंक बना हुआ है. लोग मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है. ऐसे में एक बात ध्यान देने वाली है कि भले ही व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है, जरूरी नहीं कि वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ हो.

डिप्रेशन से बचने का तरीका

  1. डिप्रेशन से बचाव के लिए सबसे जरूरी है खुलकर बात करना. परिवार या दोस्तों के साथ अपने मन की बात साझा करना मानसिक बोझ को काफी हद तक हल्का कर सकता है. साथ ही, मेडिटेशन और योग जैसी चीजें मन को शांत रखने में मदद करती हैं.
  2. पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और डिजिटल डिटॉक्स को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए. यदि लक्षण गंभीर हों, तो विशेषज्ञ की मदद लेने में बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिए.
  3. युवाओं के लिए यह समझना आवश्यक है कि मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी नहीं, बल्कि इंसान की वास्तविक ताकत है. जिस तरह शरीर की बीमारी का इलाज संभव है, वैसे ही मन की उलझनों का भी समाधान है.

धूम्रपान करने वालों को खांसी की दिक्कत क्यों होती है?

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Shubhankar Mishra: Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान की नई साजिश! PAK | Kachehri | Jaish e mohammad