क्या आईवीएफ से जन्मे बच्चों में बाद में हेल्थ और डेवलपमेंट प्रोब्लम्स होती है? जानिए मिथ्स और फैक्ट्स

World ivf Day: आईवीएफ एक तकनीक है जो उन दंपत्तियों के लिए एक वरदान साबित हुई है जो सामान्य तरीके से संतान प्राप्ति नहीं कर पाते. हालांकि ये भी मिथ्स फैले हुए हैं कि आईवीएफ बच्चों में कुछ स्वास्थ्य और विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. क्या वाकई ऐसा है, जानने के लिए पढ़ते रहें...

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World IVF Day: इस प्रक्रिया को लेकर कई सारी भ्रांतियां और मिथ्स फैले हुए हैं.

Myths And Facts about ivf: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए बहुत से लोग गर्भधारण कर पाते हैं जो सामान्य तरीके से नहीं कर पाते. हालांकि, यह प्रक्रिया कई सवालों को जन्म देती है, जिनमें से एक बड़ा सवाल यह है कि क्या आईवीएफ के माध्यम से जन्मे बच्चों में स्वास्थ्य और विकास संबंधी समस्याएं होती हैं? हालांकि इस प्रक्रिया को लेकर कई सारी भ्रांतियां और मिथ्स फैले हुए हैं, लेकिन क्या वाकई आईवीएफ से जन्मे बच्चे नॉर्मल बच्चों की तरह हेल्दी होते हैं? यहां जानिए...

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आईवीएफ से जन्मे बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं | Health Problems In Babies Born Through IVF

माना जाता है कि आईवीएफ के माध्यम से जन्मे बच्चों में कुछ हद तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. कई शोध से पता चला है कि आईवीएफ बच्चों में प्रीटरम बर्थ (समय से पहले जन्म), लो बर्थ वेट (कम वजन), और कुछ जन्मजात विकृतियां होने की संभावना थोड़ी ज्यादा हो सकती है. इसके अलावा, कुछ अध्ययनों में आईवीएफ बच्चों में हार्ट रिलेटेड प्रोब्लम्स और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी पाया गया है.

आईवीएफ से जन्मे बच्चों में डेवलपमेंटल प्रोब्लम्स?

जहां तक विकास संबंधी समस्याओं का सवाल है, ज्यादातर अध्ययनों में पाया गया है कि आईवीएफ बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य बच्चों के समान होता है. हालांकि, कुछ मामलों में आईवीएफ बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंटल डिले (न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट में देरी) का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है.

क्या हैं हेल्थ रिस्क बढ़ने का कारण?

आईवीएफ के माध्यम से जन्मे बच्चों में हेल्थ और ग्रोथ रिलेटेडे प्रोब्लम्स के संभावित कारणों में माता-पिता की उम्र, जेनेटिक कारक और स्वयं आईवीएफ प्रक्रिया शामिल हो सकते हैं. उदाहरण के लिए बड़े उम्र के माता-पिता के बच्चों में स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा हो सकता है और जेनेटिक कारक भी इन समस्याओं में योगदान कर सकते हैं.

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक शोध पत्र से पता चलता है कि, आईवीएफ से संतानों के लिए विकृतियों, फंक्शनल डिसऑर्डर और प्रसव के बाद खराब परिणाम के रूप में हेल्थ रिस्क बढ़ जाता है. यह संभवतः माता-पिता के कारकों के कारण होता है, लेकिन आईवीएफ तकनीक से संबंधित कारकों के कारण भी होता है. हालांकि इनमें से कुछ जोखिम पिछले कुछ सालों में कम हो गए हैं, फिर भी हेल्थ रिस्क बढ़ने की आशंका बनी रहती है. नतीजतन, आईवीएफ केवल तभी किया जाना चाहिए जब गर्भावस्था किसी अन्य तरीके से प्राप्त नहीं की जा सकती.

समाधान और देखभाल:

हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि आईवीएफ तकनीक में निरंतर सुधार हो रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि आईवीएफ बच्चों का स्वास्थ्य और विकास सामान्य हो. नियमित प्रीनेटल चेक-अप, उचित पोषण और नवजात की अच्छी देखभाल से इन बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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