World Heart Day: पहले स्वास्थ्य से जुड़ी ये समस्याएं बढ़ती उम्र में हुआ करती थी लेकिन आज के समय में शुगर और बीपी की समस्या कम उम्र में ही होने लगी है. हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी ही दिक्कतों के कारण हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है. पहले आमतौर पर हार्ट अटैक आने का जोखिम 60 साल के बाद रहता था, वहीं अब 30-32 साल की उम्र से ही हार्ट अटैक के केस मिलने लग गए हैं. वहीं इलाज में देरी मौत का कारण बन जाती है, ऐसे में जरूरी है कि हमें ये मालूम हो कि दिल का दौरा पड़ने पर किस तरह मरीज का प्राथमिक उपचार करना है, ताकि उसकी जान बचाई जा सके.
लक्षणों को पहचानना है जरूरी
सीने में जकड़न महसूस करना और बेचैनी होना, सांसों का तेजी से चलना, चक्कर के साथ ही साथ खूब सारा पसीना आना, नब्ज कमजोर पड़ना और मितली आते रहना दिल के दौरे के मुख्य लक्षण हैं.
नाक दबाएं
मरीज की नाक को अपनी उंगलियों से दबाकर रखना है और अपने मुंह से मरीज के मुंह में सांस भरना है. इससे मुंह से दी जा रही सांसें सीधे फेफड़ों तक पहुंचती हैं. आप अगर किसी मरीज को सांस दे रहे हैं तो पहले लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपका लें, हवा मुंह से किसी तरह से बाहर न निकले. मरीज का तकिया हटा दें और उसकी चिन को पकड़कर ऊपर की तरफ उठा दें. इससे सांस की नली में अवरोध कम हो जाता है.
सीपीआर कैसे दें
इससे दिल की बंद पड़ी धड़कनें फिर से शुरू हो जाती हैं. इसे करने के लिए मरीज को पीठ के बल से लिटा देना है फिर अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीचों बीच रखना है. सीने पर हाथ रखकर उसे नीचे दबाएं ताकि सीना आधे से एक इंच तक नीचे की ओर दबे.
मरीज को सीधा लिटा दें
दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सबसे पहले आराम से लिटा लें. प्राथमिक उपचार के साथ ही आप फोन कर तुरंत एम्बुलेंस को बुलाएं.
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