World Diabetes Day 2021: हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें इंसान के शरीर में ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है. इससे मरीज के शरीर में जरूरत के मुताबिक इंसुलिन नहीं बन पाता, इंसुलिन ही खून से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज का संचार करता है. ऐसे में जब शरीर को सही मात्रा में इंसुलिन नहीं मिलता तो बॉडी मेटाबॉलिज्म पर भी इसका असर पड़ता है.
डायबिटीज़ के लक्षण | Symptoms Of Diabetes
किसी के शरीर में ब्लड शुगर बढ़ जाता है तो डायबिटीज के लक्षण दिखने लगते हैं. प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज के कुछ मामलों में समस्या की शुरुआत में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. वहीं टाइप-1 डायबिटीज के रोगियों में इसके लक्षण बहुत तेजी से नजर आने लगते हैं और ये काफी गंभीर होते हैं. डायबिटीज के अहम संकेत यानी लक्षण ये हैं
- बहुत अधिक प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- भूख बहुत ज्यादा लगना
- अचानक से शरीर का वजह कम होना या अचानक बढ़ना
- थकान महसूस होना
- चिड़चिड़ापन होना
- आंखों के आगे धुंधलापन आना
- घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना
- स्किन इंफेक्शन होना
- ओरल इंफेक्शन्स होना
- वजाइनल इंफेक्शन्स होना
डायबिटीज का निदान
आपका शरीर डायबिटीज का संकेत दे रहा हो और आपको ऊपर बताए लक्षण नजर आ रहे हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें. डायबिटीज के डायग्नोसिस के लिए कुछ इस तरह के टेस्ट करवाए जाते हैं.
ए1सी टेस्ट (A1C Test Or Glycohemoglobin Test)
ये टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए किया जाता है, जिसमें, रोगी को हर तीसरे महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है और उसके एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल की जांच की जाती है. इस तरह के जांच में 5 से 10 तक के अंकों में ब्लड में ग्लूकोज़ का लेवल मेजर किया जाता है. अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा आता है तो वह नॉर्मल माना जाता है. वहीं किसी में इसका लेवल 6.5% से ज्यादा मिल गया तो समझें कि वह मधुमेह का रोगी है.
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
ब्लड शुगर का एसेसमेंट करने के लिए ये सबसे कॉमन टेस्ट है. इसके लिए खाली पेट मरीज के खून का सैंपल देने के लिए कहा जाता है, करीब 12 से 14 घंटा खाली पेट रहने के बाद ये टेस्ट किया जाता है.
रैंडम ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
इस प्रकार के टेस्ट में रोगी के खून के नमूने की 4 बार जांच होती है. अगर ब्लड शुगर लेवल दो बार नॉर्मल से ज़्यादा पाया जाता है तो प्रेगनेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज होना कंफर्म किया जाता है.
डायबिटीज का उपचार
बात करें टाइप-1 डायबिटीज की तो इसका कोई स्थाई उपचार नहीं होता है. पीड़ित व्यक्ति जीवन भर डायबिटीज का रोगी बना रहता है. वहीं टाइप-2 डायबिटीज की बात हो तो इसमें बिना किसी दवा के भी हर रोज संतुलित भोजन करने, सुबह का नाश्ता सही समय पर लेने, वेट कंट्रोल करने और हर दिन एक्सरसाइज व मॉर्निंग वॉक करने से बहुत हद तक आराम पाया जा सकता है. वहीं ओरल एंटीबायोटिक्स मे़डिसिन टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में कारगर साबित होती है.
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