World Diabetes Day 2021: जानें किसे होती है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज? जानिए क्या है दोनों के बीच अंतर

World Diabetes Day: जब मानव शरीर में पैक्रियाज यानी अग्नाश्य इंसुलिन का उत्पादन कम कर देता है या तो फिर बंद कर देता है तो ऐसे में शरीर में ब्लड ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है और इंसान डायबिटीज का शिकार हो जाता है. 

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World Diabetes Day 2021: टाइप-1 डायबिटीज नवजात बच्चों में भी देखने को मिल सकती है.

World Diabetes Day 2021: जब हम टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के बारे में सुनते हैं तो अक्सर ये सवाल मन में उठता है कि आखिर इन दोनों में क्या अंतर है और दोनों के लक्षणों में क्या अंतर होता है. जब मानव शरीर में पैंक्रियाज यानी अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन कम कर देता है या तो फिर बंद कर देता है तो ऐसे में शरीर में ब्लड ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है और इंसान डायबिटीज का शिकार हो जाता है.

दो तरह की होती है डायबिटीज

डायबिटीज दो तरह की होती है, पहली को टाइप-1 और दूसरी को टाइप-2 डायबिटीज कहा जाता है. टाइप-1 हेरिडिटी के कारण होती है, जैसे माता-पिता या फिर दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को भी डायबिटीज रही हो तो ऐसे व्यक्ति को डायबिटीज होने की संभावना होती है. लिहाजा किसी भी व्यक्ति को वंशानुगत वजहों से डायबिटीज होती है तो इसे टाइप-1 डायबिटीज कहा जाता है, जबकि गलत लाइफस्टाइल या खाने-पीने में गड़बड़ी के कारण ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाए तो इसे टाइप-2 डायबिटीज का मामला कहेंगे.

नवजात भी हो सकता है डायबिटीज का शिकार

टाइप-1 डायबिटीज नवजात बच्चों में भी देखने को मिल सकती है, या फिर बहुत कम उम्र में बच्चे को ये बीमारी हो सकती है. ऐसा तब होता है जब बच्चे के शरीर में इंसुलिन एकदम नहीं बनता है, ऐसा वंशानुगत कारणों से ही होता है. ये एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है यानी इस बीमारी में अपने ही शरीर के कुछ सेल्स दूसरे सेल्स के दुश्मन की तरह काम करते हैं और उन पर हमला करके उन्हें नष्ट करते हैं. टाइप-1 डायबिटीज में मानव शरीर के कुछ सेल्स पैंक्रियाज यानी अग्नाशय की कोशिकाओं पर हमला करके इंसुलिन के उत्पादन को प्रभावित कर देते हैं. लिहाजा ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ने लग जाता है.

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डायबिटीज टाइप-2 होने की मुख्य वजह...

  • डायबिटीज टाइप-2 बहुत ज्यादा मोटापा, उच्च रक्तचाप, समय पर न सोने और सुबह देर तक सोते रहने, बहुत अधिक नशा करने और फिजिकल एक्टिविटी न करने के कारण होती है.
  • गलत खाने-पीने के कारण हमारे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.
  • इंसुलिन कम बनने से ब्लड में मौजूद सेल्स इस हॉर्मोन के प्रति बहुत कम संवेदनशीलता दिखाते हैं, इस वजह से भी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और ऐसा व्यक्ति टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो जाता है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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