क्या है योग के 10 हजार साल का संक्षिप्त इतिहास? जानिए, इसकी मूल बातें और विकास के प्रमुख चरण

Yoga’s long rich history: पुराने समय में योग के गुरु कई बार लायक शिष्य नहीं मिलने पर इन शिक्षाओं को ठीक से सिखा नहीं पाते थे. इसके अलावा इन शिक्षाओं को ज्यादातर गुप्त रखा जाता है.

Advertisement
Read Time: 6 mins
H

History of Yoga: मौजूदा दौर में योग के महत्व को लेकर शायद ही किसी को कोई शक हो. योग से होने वाले फायदे पर भी लगभग सभी लोग सहमत हैं, लेकिन योग के काफी समृद्ध इतिहास को लेकर अब भी ज्यादातर लोगों को ठीक से मालूम नहीं है. पुराने समय में योग के गुरु कई बार लायक शिष्य नहीं मिलने पर इन शिक्षाओं को ठीक से सिखा नहीं पाते थे. इसके अलावा इन शिक्षाओं को ज्यादातर गुप्त रखा जाता है. ऐसे ही कई वजहों से योग के इतिहास को लेकर रिसर्चर काफी उहापोह का शिकार बनते हैं. योग का इतिहास बहुत पुराना और व्यापक है. इस लेख में योग के इतिहास को संक्षिप्त में समझने  के लिए हमने इसे कालखंडों में बांट दिया है. एक नजर इस पर-  

योग का इतिहास (History of Yoga)

सुनने और याद रखकर योग की शिक्षाओं को आगे की पीढ़ी तक पहुंचाने के लंबे समय बाद इसके बारे में लिखा जाने लगा. माना जाता है कि योग के बारे शुरुआती लेखन ताड़ के नाजुक पत्तों पर किया गया था. लेकिन इनके साथ अपनी एक समस्या थी कि यह आसानी से खो जाते थे या बेकार हो जाते थे. इसके बावजूद पांच हजार साल पहले तक योग के इतिहास और उसके विकास का पता लगाया जा सका है.

हालांकि, कुछ रिसर्चर्स का दावा है कि योग 10 हजार साल पुराना हो सकता है. जानकारों के मुताबिक योग के इतिहास को विस्तार से समझने और समझाने के लिए उसे नए प्रयोगों, प्रैक्टिस और उसके विकास के नजरिए से चार मुख्य कालखंडों में बांटा जा सकता है.

Advertisement

प्री-क्लासिक या पूर्व-शास्त्रीय योग

ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, 5,000 साल पहले उत्तरी भारत में सिंधु-सरस्वती सभ्यता के समय योग की शुरुआत हुई थी. सबसे पुराने और पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद में सबसे पहले योग शब्द का जिक्र किया गया था. ऋग्वेद में ब्राह्मणों और वैदिक पुजारियों द्वारा गाए जाने वाले गीत, इस्तेमाल किए जाने वाले मंत्र और अनुष्ठानों का संग्रह शामिल है.

Advertisement

बाद में, धीरे-धीरे ब्राह्मणों और ऋषियों ने मिलकर योग को और ज्यादा विकसित किया. उन्होंने उपनिषदों में अपनी प्रथाओं और मान्यताओं का दस्तावेज भी तैयार किया. ये 200 से ज्यादा धार्मिक ग्रंथों वाला एक बहुत बड़ा भंडार है. योग से जुड़े ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. इतिहासकारों का दावा है कि इसकी रचना लगभग 500 ईसा पूर्व हुई थी. उपनिषदों ने वेदों से त्याग यानी बलिदान का विचार लिया. फिर आत्म-ज्ञान, क्रिया (कर्म योग) और ज्ञान (ज्ञान योग) के जरिए अहंकार के बलिदान की शिक्षा देते हुए इसे अच्छे से अपनाया.

Advertisement

Yoga History: 

क्लासिक या शास्त्रीय योग

प्री-क्लासिक फेज में, योग कई तरह के विचारों, विश्वासों और तकनीकों का मिश्रण था. ये सभी अक्सर एक-दूसरे से टकराते थे. कई बार आपस में बहुत विरोधाभासी भी साबित होते थे. शास्त्रीय काल को पतंजलि के योग-सूत्रों में परिभाषित किया गया है. इसे योग की पहली व्यवस्थित प्रस्तुति माना जाता है. दूसरी शताब्दी में किसी समय इस ग्रंथ को लिखा गया था. यह खासतौर पर राज योग के बारे में बताता है. अक्सर इसे ही "शास्त्रीय योग" भी कहा जाता है.

Advertisement

योग के अभ्यास को पतंजलि ने अष्टांग मार्ग यानी आठ प्रकार में बांटा है. इसमें समाधि या आत्मज्ञान हासिल करने की दिशा में कई चरण शामिल हैं. अक्सर पतंजलि को योग का जनक माना जाता है. उनके योग-सूत्र अभी भी आधुनिक योग की ज्यादातर शैलियों को काफी मजबूती से प्रभावित करते हैं.

Watch Yoga Videos: International Yoga Day 2024: अभी तक योग नहीं किया तो आज से करें शुरू, हर उम्र के लिए योगासन यहां सीखें

पोस्ट-क्लासिक या उत्तर-शास्त्रीय योग

पतंजलि के कुछ सदियों बाद, लोगों को फिर से फुल ऑफ लाइफ होने और लंबा जीवन जीने के लिए योग गुरुओं ने नए तरीके का एक सिस्टम बनाया. उन्होंने प्राचीन वेदों की शिक्षाओं से अलग हटकर आत्मज्ञान हासिल करने के साधन के तौर पर फिजिकल बॉडी को ज्यादा अहमियत दी. उन्होंने तंत्र योग का विकास किया. इसमें शरीर और मन को शुद्ध करने की मुश्किल तकनीकें शामिल थीं, ताकि उन गांठों को तोड़ा जा सके जो हमें हमारे भौतिक अस्तित्व से बांधती हैं. इन भौतिक-आध्यात्मिक संबंधों की खोज से हठ योग सामने आया. पश्चिमी देशों में ज्यादातर इसे ही योग समझा जाता है.

History of Yoga | Modern Period: पश्चिमी और भारतीय योग शिक्षकों ने हठ योग को काफी लोकप्रिय बना दिया.

आधुनिक काल में मॉडर्न योग

1800 के दशक के अंत और 1900 की शुरुआत में, योग गुरुओं ने अनुयायियों और तमाम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पश्चिमी देशों की यात्रा शुरू की. शिकागो में धर्म संसद-1893 से इसकी शुरुआत हुई. स्वामी विवेकानंद ने योग और धर्मों पर केंद्रित अपने भाषण से वहां मौजूद दुनिया भर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. 1920 और 30 के दशक में, हठ योग का अभ्यास करने वाले टी. कृष्णमाचार्य और स्वामी शिवानंद समेत कई योग शिक्षकों के चलते भारत में हठ योग काफी मशहूर हो गया था.

टी. कृष्णमाचार्य ने 1924 में मैसूर में पहला हठ योग स्कूल खोला. 1936 में शिवानंद ने पवित्र गंगा नदी के तट पर डिवाइन लाइफ सोसाइटी की स्थापना की. कृष्णमाचार्य ने अपनी विरासत को जारी रखने और हठ योग की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए तीन छात्रों बी.के.एस. अयंगर, टी.के.वी. देसिकाचार और पट्टाभि जोइस को तैयार किया. वहीं, शिवानंद ने योग पर 200 से अधिक किताबें लिखीं. उन्होंने दुनिया भर में नौ आश्रम और कई योग केंद्र भी स्थापित किए.

इसके बाद, इंदिरा देवी ने 1947 में हॉलीवुड में अपना योग स्टूडियो खोला. तब तक पश्चिमी देशों में भी धीरे-धीरे योग का विकास होता रहा. उसके बाद तो पश्चिमी और भारतीय योग शिक्षकों ने हठ योग को काफी लोकप्रिय बना दिया. उनके लाखों अनुयायी हठ योग में अब कई अलग-अलग स्कूल या स्टाइल को आगे बढ़ा रहे हैं. इनमें योग के प्रैक्टिस के भी कई अलग-अलग पहलुओं पर जोर दिया जा रहा है.

लंबाई बढ़ाने के लिए 5 योगासन | 5 Yoga Poses To Increase Height | Sharanya Chawla | Mahua

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Delhi Firing News: Naraina इलाके के Car Showroom में ताबड़तोड़ फायरिंग, CCTV Video आया सामने