Non-antibiotic Drugs: अब तक यही माना जाता था कि एंटीबायोटिक दवाएं ही आंतों में मौजूद अच्छे सूक्ष्म जीवों के समूह यानी माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाती हैं, लेकिन येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक रिसर्च में पाया गया है कि गैर-एंटीबायोटिक दवाएं भी आंतों की सेहत को बिगाड़ सकती हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ा सकती हैं. इस अध्ययन में पाया गया कि आमतौर पर दी जाने वाली कुछ दवाएं न सिर्फ माइक्रोबायोम की संरचना बदल देती हैं, बल्कि शरीर को ऐसे एंटी-माइक्रोबियल तत्व बनाने के लिए प्रेरित करती हैं जो खुद की ही आंतों के बैक्टीरिया पर हमला करते हैं.
यह अध्ययन जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित हुआ है. इसके अनुसार, गट माइक्रोबायोम (आंत माइक्रोबायोटा) यह तय करने में भी भूमिका निभा सकता है कि कौन-से व्यक्ति किस दवा पर अच्छी प्रतिक्रिया देंगे और कौन-से नहीं.
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इस शोध में 10 लाख से अधिक लोगों का मेडिकल डाटा शामिल किया गया. 10 साल पुराने इस डाटा का विश्लेषण करने के बाद ये जानकारी सामने आई है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने 21 गैर-एंटीबायोटिक दवाएं चुनीं, जिनका गहराई से अध्ययन किया गया. इनमें से लगभग आधी दवाएं आंतों के माइक्रोबायोम की संरचना बदलने से जुड़ी पाई गईं. ये 4 दवाएं हैं, डिगोक्सिन (हृदय की बीमारी की दवा), क्लोनाजेपाम (मिर्गी और एंग्जायटी के लिए), पैंटोप्राजोल (एसिडिटी के लिए), और क्वेटियापिन (मनोवैज्ञानिक समस्याओं की दवा).
यह सभी दवाएं संक्रमण के जोखिम को बढ़ाने से जुड़ी पाई गईं.
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबियल पैथोजेनेसिस विभाग के प्रो. एंड्रयू गुडमैन ने कहा, “हमने देखा कि कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भी संक्रमण का उतना ही जोखिम पैदा करती हैं जितना कि एंटीबायोटिक दवाएं.” शोधकर्ताओं का मानना है कि गट माइक्रोबायोम की समझ और उसका बैलेंस बनाए रखना न सिर्फ बेहतर दवा प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संक्रमण से सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)