विकास सेठी की 48 साल की उम्र में हुई हार्ट अटैक से मौत, जानिए अचानक क्यों आता है Heart Attack

Vikas sethi Demise: टीवी सीरियल कसौटी जिंदगी की, कभी सास भी कभी बहू थी और फिल्म कभी खुशी कभी गम में करीना के ब्यॉएफ्रेंड का रोल प्ले करने वाले विकास सेठी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. बता दें कि ऐसा कहा जा रहा है वो आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, जिस वजह से वो काफी परेशान रहते थे.

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विकास सेठी आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे.

Vikas sethi Demise: टीवी सीरियल कसौटी जिंदगी की, कभी सास भी कभी बहू थी और फिल्म कभी खुशी कभी गम में करीना के ब्यॉएफ्रेंड का रोल प्ले करने वाले विकास सेठी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. बता दें कि रविवार को दोपहर अचानक ही उनके निधन की खबर सामने आई जिससे  टीवी इंडस्ट्री में शोक पसर गया. ऐसा माना जा रहा है कि वो आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. जिस वजह से वो काफी परेशान थे. बता दें कि सिर्फ विकास ही नही बल्कि इस तरह के कई टीवी एक्ट्रेस है जिनकी हार्ट अटैक से अचानक मौत हो जाती है.

कम उम्र में हार्ट अटैक आने की वजह | Reasons For Heart Attack In Young Age

डॉ. विकास ठाकरान के मुताबिक कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने की एक बड़ी वजह कोलेस्ट्रॉल हो सकता है. कोलेस्ट्रोल बढ़ने का सीधा असर हार्ट पर ही पड़ता है. अगर सही समय पर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को सीमित नहीं किया गया तो हार्ट अटैक का खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ जाता है.

इस कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना है खतरनाक

डॉ. विकास ठाकरान ने जानकारी दी कि कोलेस्ट्रोल के दो खास प्रकार होते हैं, जिन्हें एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. एलडीएल किस्म का कोलेस्ट्रॉल बैड कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में आता है. ये कोलेस्ट्रोल बढ़ता है तो हार्ट अटैक की संभावना भी बढ़ सकती है.

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दूसरे किस्म का कोलेस्ट्रॉल होता है एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, जो गुड कोलेस्ट्रॉल भी कहलाता है. अगर शरीर में में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा है तो समझिए कि आपके दिल की सुरक्षा मजबूत हो रही है.

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इन दो प्रकार के कोलेस्ट्रोल के अलावा भी कोलेस्ट्रोल के और प्रकार होते हैं.

बिना दवा के हो सकता है कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल

डॉ. ठाकरान के मुताबिक कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट करवाने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. अगर आपको कोई वैल्यू यानी कि किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो डॉक्टर से उस बारे में चर्चा भी करनी चाहिए ताकि सही लाइन ऑफ ट्रीटमेंट मिल सके.

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खास बात ये है कि हर मरीज को कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के लिए दवा की जरूरत नहीं होती. ये रिपोर्ट देखकर डॉक्टर तय करता है कि मरीज को कोलेस्ट्रॉल की दवा की जरूरत है या नहीं है. इसके साथ ही कुछ और फैक्टर्स भी होते हैं जिनका ध्यान रखा जाता है. रिपोर्ट चेक करने वाला डॉक्टर ये भी देखता है कि मरीज को बीपी, शुगर की कोई तकलीफ तो नहीं है. मरीज की उम्र भी एक इंपॉर्टेंट फैक्टर होती है. जिसे ध्यान में रख कर डॉक्टर मरीज को सलाह देता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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