क्या है मंकीपॉक्स का इलाज और किन लोगों को है इसका खतरा? जानिए डॉक्टर ने क्या कहा...

डॉ. चारुदत्त अरोड़ा ने इस बारे में एनडीटीवी को बताया कि अपने लेवल पर कुछ सावधानियां रख कर इस बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है.

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Mpox Virus Treatment: कोरोना वायरस के फैलने के बाद से लोगों में एक डर और बैठ गया है. डर ये है कि क्या हर वायरस के संक्रमण का इलाज मौजूद है या नहीं. लोगों को डाउट रहता है कि जो भी नया वायरस आया है उस पर काबू पाना कितना आसान और कितना मुश्किल होगा. उस वायरस की चपेट में आ ही  गए तो उसका इलाज मिलेगा या नहीं. एक अच्छी बात ये है कि इस मामले में मंकी पॉक्स वायरस, कोरोना वायरस जितना खतरनाक नहीं है. इस वायरस का इलाज मौजूद है. बस आपको समय रहते डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेनी है. साथ ही अपने स्तर पर भी कुछ बातों का ध्यान रखना है. डॉ. चारुदत्त अरोड़ा ने इस बारे में एनडीटीवी को बताया कि अपने लेवल पर कुछ सावधानियां रख कर इस बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है.

मंकी पॉक्स वायरस का इलाज | Treatment Of Mpox virus

इलाज के साथ इन बातों का रखें ध्यान

डॉ. चारुदत्त अरोरा के मुताबिक इस बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण ही नजर आते हैं. इसलिए सबसे पहले उन्हीं का इलाज किया जाता है. बदन दर्द, सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ ही गले में मौजूद लिंफ नोड्स की स्वेलिंग कम करने के लिए दवा दी जाती है. इस इलाज के साथ ही मरीजों को भी अपने स्तर पर कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.

इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए मरीज को सबसे पहले आइसोलेट कर दिया जाना चाहिए. मंकी पॉक्स वायरस की वजह से शरीर में होने वाले रेशेज से डिहाइड्रेशन होता है. इसलिए पानी खूब पीना चाहिए. साथ ही इलेक्ट्रोलाइट्स भी लेते जाना चाहिए.

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अंधविश्वास से बचना है जरूरी

मंकी पॉक्स की तरह दिखने वाली बीमारी स्मॉल पॉक्स को लेकर ये माना जाता रहा है कि ये माता है. जिसका इलाज कराने की जगह लोग अंधविश्वास का भी शिकार हो जाते हैं. डॉ. चारुदत्त अरोड़ा के मुताबिक एमलॉक्स का इलाज मौजूद है. इसलिए अंधविश्वास में पड़ने से पहले डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है. डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर बेहतर फ्लूड बैलेंस की सलाह देते हैं और सूजन कम करने की दवा देते हैं.

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नियमित ब्लड टेस्ट करवाना भी जरूरी है. ऐसा करवाते रहने से सेप्सिस का खतरा टलता है. सेप्सिस का मतलब है ब्लड में इंफेक्शन और दिमाग में सूजन आना. इस कंडीशन से बचना बहुत जरूरी है. इसलिए इलाज में देरी न करें. बल्कि जल्द से जल्द सूजन उतारने की दवा के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.

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इसके साथ ही मरीज और मरीज को अटेंड करने वाले लोग मास्क पहने रखें और आसपास की जगह भी सैनिटाइज करें.

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ये हो सकते हैं कॉम्प्लिकेशन

डॉ. चारूदत्त अरोड़ा का कहना है कि मंकी पॉक्स वायरस एक सेल्फ लिमिटिंग बीमारी है यानी कुछ समय में अपने आप ठीक हो जाती है. लेकिन ऐसा सब के साथ नहीं होता. अगर प्रेग्नेंट महिलाएं हैं. बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं. या ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी बहुत कम है, एड्स पीड़ित, ऑटो इम्यून रोग से पीड़ित, ज्यादा डायबिटिक लोग, आर्थराइटिस से पीड़ित, थायराइड  डिसऑर्डर वालों को ये बीमारी अपनी चपेट में ले सकती है और इसकी वजह से गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. हो सकता है इलाज में देरी से लिवर, किडनी और ब्रेन तक डैमेज हो जाए. इसलिए ऐसे लोगों को बिलकुल भी देर नहीं करना चाहिए और इलाज लेना चाहिए.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)