‘सिद्ध’ ड्रग कॉम्बिनेशन से टीनएजर्स में एनीमिया का खतरा हो सकता है कम, अध्ययन का दावा

‘सिद्ध’ ड्रग कॉम्बिनेशन टीमएज गर्ल्स में एनीमिया को कम करने में मदद कर सकता है, मंगलवार को एक अध्ययन में दावा किया गया.

Advertisement
Read Time: 3 mins

अध्ययन से पता चला है कि सिद्ध औषधि का कॉम्बिनेशन “एनीमिया से पीड़ित किशोरियों में हीमोग्लोबिन लेवल के साथ-साथ पैक्ड सेल वॉल्यूम (पीसीवी), मीन कॉर्पसकुलर वॉल्यूम (एमसीवी) और मीन कॉर्पसकुलर हीमोग्लोबिन (एमसीएच) में सुधार कर सकता है.” इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज (आईजेटीके) में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि एबीएमएन दवा ने "थकान, बालों का झड़ना, सिरदर्द, रुचि की कमी और मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं जैसे एनीमिया के ​​लक्षणों को काफी हद तक कम किया और सभी एनीमिया से पीड़ित लड़कियों में हीमोग्लोबिन और पीसीवी, एमसीवी और एमसीएच लेवल में सुधार किया."

यह भी पढ़ें: डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान है सुबह खाली पेट इस चीज का पानी, ब्लड शुगर लेवल पर आपका काबू

आयुष मंत्रालय के तहत ऑटोनोमस बॉडी, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक डॉ. आर. मीनाकुमारी ने कहा, "सिद्ध दवा आयुष मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल में उल्लेखनीय भूमिका निभाती है. टीनएजर्स में पैदा की गई जागरूकता, उन्हें दी जाने वाली डाइट रिलेटेड सलाह और निवारक देखभाल तथा सिद्ध दवाओं के जरिए उपचार ने एनीमिया से पीड़ित रोगियों को मेडिकल बेनिफिट्स दिए." अध्ययन में 2,648 लड़कियों को शामिल किया गया, जिनमें से 2,300 ने मानक 45-दिवसीय कार्यक्रम पूरा किया

टीम ने कार्यक्रम के पूरा होने से पहले और बाद में सांस फूलना, थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, भूख न लगना और पीलापन जैसी समस्याओं की जांच की, साथ ही हीमोग्लोबिन इवेलुएशन और जैव रासायनिक आकलन भी किया.

डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, एनीमिया के लिए कट-ऑफ पॉइंट 11.9 मिलीग्राम/डीएल निर्धारित किया गया, 8.0 मिलीग्राम/डीएल से कम हीमोग्लोबिन लेवल को गंभीर माना गया, 8.0 से 10.9 मिलीग्राम/डीएल के बीच को मध्यम और 11.0 से 11.9 मिलीग्राम/डीएल के बीच को हल्का माना गया.

यह भी पढ़ें: अच्छा लगता है कीवी खाना, तो नुकसान जान आज से छोड़ देंगे, इन 7 लोगों को गलती से भी नहीं खाना चाहिए कीवी फल

Advertisement

इसके अलावा, टीम ने 283 लड़कियों के एक समूह में हीमोग्लोबिन, पीसीवी, एमसीवी, एमसीएच, रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी), प्लेटलेट्स, कुल व्हाइट सेल्स (डब्ल्यूबीसी), न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट्स और ईोसिनोफिल्स के लिए लेबोरेटरी इनवेस्टिगेशन की.

मीनाकुमारी ने कहा, “एनीमिया के लिए सिद्ध दवाएं कई स्थितियों में लागत प्रभावी और सुलभ उपचार प्रदान करके पब्लिक हेल्थ में योगदान दे सकती हैं.”

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Modi Cabinet ने One Nation, One Election पर लगाई मुहर, कितना व्यावहारिक फैसला?