क्या आपको डॉक्टर ने चश्मा लगाने की सलाह दी है, लेकिन आप इस बात को लेकर उलझन में हैं कि चश्मा कितने घंटे लगाना चाहिए? क्या इसे हर समय पहनना ज़रूरी है, या सिर्फ़ पढ़ने या ड्राइविंग के दौरान? यह एक आम सवाल है जो हर चश्मा पहनने वाला व्यक्ति पूछता है, क्योंकि कई लोगों को डर होता है कि चश्मा हमेशा लगाने से आदत पड़ जाएगी या उनकी आँखों का नंबर बढ़ जाएगा.
यह धारणा गलत है! सच यह है कि आपकी आँखों का पावर कितना है और आपको चश्मा किस कारण से दिया गया है- यही तय करता है कि आपको इसे पूरे दिन पहनना है या नहीं. यदि आपको कमजोर नज़र या एम्ब्लियोपिया जैसी समस्या है, तो चश्मा न पहनना आपकी आँखों के स्वास्थ्य को ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकता है.
इस लेख में हम आपके इसी उलझन को दूर करेंगे. हम जानेंगे कि बच्चों को चश्मा कितने घंटे पहनना चाहिए और वयस्कों के लिए नियमित चश्मा पहनने के फ़ायदे क्या हैं. साथ ही, हम प्रेसबायोपिया (पढ़ने वाले चश्मे) और कंप्यूटर चश्मे के इस्तेमाल का सही समय भी बताएँगे. यदि आप अपनी दृष्टि को सुरक्षित रखना चाहते हैं और आँखों के तनाव से बचना चाहते हैं, तो चश्मे के सही इस्तेमाल के वैज्ञानिक नियम जानने के लिए आगे पढ़ें.
1. पूरे समय चश्मा लगाना कब ज़रूरी है (Full-Time Wear)
ज़्यादातर मामलों में, अगर आपको नीचे दी गई समस्याएं हैं, तो डॉक्टर आपको चश्मा हमेशा लगाए रखने की सलाह देते हैं:
मध्यम या बड़ा नंबर (Moderate to High Power): अगर आपका नंबर (माइनस या प्लस में) ज़्यादा है और इसके बिना आपको दैनिक काम जैसे ड्राइविंग करना, पढ़ना, या दूर की चीज़ें साफ देखने में परेशानी होती है, तो चश्मा हर समय लगाना ज़रूरी है.
एस्टिग्मेटिज्म (Astigmatism): इस स्थिति में, आँखों का लेंस पूरी तरह गोल नहीं होता, जिससे हर दूरी पर चीज़ें धुंधली दिखती हैं. इस नंबर को ठीक करने के लिए भी चश्मा हमेशा लगाना ज़रूरी होता है.
बच्चों के लिए: 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अक्सर चश्मा हमेशा लगाने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उनकी आँखों का सही विकास हो सके और नंबर तेज़ी से न बढ़े. यह एम्ब्लियोपिया (Amblyopia) या 'आलसी आँख' जैसी समस्याओं को रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है.
आँखों का तनाव (Eye Strain) या सिरदर्द: अगर चश्मा न लगाने से आपको जल्दी सिरदर्द या आँखों में भारीपन महसूस होता है, तो इसे लगातार पहनना चाहिए ताकि आँखों को आराम मिले.
याद रखें: यह एक मिथक (Myth) है कि चश्मा हमेशा लगाने से आँखें कमजोर हो जाती हैं या चश्मे की आदत पड़ जाती है. डॉक्टर के अनुसार, सही नंबर का चश्मा लगातार पहनने से आपकी दृष्टि साफ रहती है और आँखों पर अनावश्यक तनाव नहीं पड़ता.
2. कुछ समय के लिए चश्मा लगाना कब सही है (Part-Time Wear)
कुछ स्थितियों में, आप चश्मा सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर ही लगा सकते हैं:
बहुत हल्का नंबर (Mild Prescription): अगर आपका नंबर बहुत कम है (जैसे -0.5 या +0.5), और इसके बिना भी आपको ज़्यादा परेशानी नहीं होती, तो आप इसे सिर्फ़ उन कामों के लिए लगा सकते हैं जहाँ साफ़ देखने की बहुत ज़रूरत हो (जैसे ड्राइविंग करते समय या क्लास में आखिरी सीट पर बैठते समय).
प्रेसबायोपिया (Presbyopia) या पढ़ने का चश्मा: 40 की उम्र के बाद लोगों को पास का पढ़ने में दिक्कत होती है. ऐसे में पढ़ने का चश्मा सिर्फ पढ़ाई, सिलाई या मोबाइल देखते समय ही लगाया जाता है. इसे दूर की चीज़ें देखते समय निकालने की ज़रूरत होती है.
कंप्यूटर या ब्लू लाइट चश्मा: अगर आपको आँखों में कोई नंबर नहीं है, लेकिन आप सिर्फ स्क्रीन टाइम के लिए 'ब्लू लाइट फ़िल्टर' वाला चश्मा लगाते हैं, तो इसे आप सिर्फ कंप्यूटर या फ़ोन इस्तेमाल करते समय लगा सकते हैं.
डॉक्टर से क्या पूछें:
- आपका चश्मा किस काम के लिए है? (दूर के लिए, पास के लिए, या दोनों के लिए?)
- क्या मुझे इसे ड्राइव करते समय पहनना अनिवार्य है?
- क्या मैं सोते समय इसे हटा दूँ?
- क्या मैं घर पर आराम करते समय इसे हटा सकता हूँ?
अगर डॉक्टर ने आपको हमेशा लगाने की सलाह दी है, तो आपको इसे पूरे दिन (सोते समय और नहाते समय छोड़कर) लगाना चाहिए. अगर आपको केवल पढ़ने या किसी विशेष गतिविधि के लिए चश्मा मिला है, तो केवल तभी लगाएं जब ज़रूरत हो.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














