Common Sports Injuries in Cricket: भारत की महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया, जिसके जश्न में हर कोई डूबा हुआ है. मैदान पर स्टैंड्स में और व्हीलचेयर पर भी टीम की खिलाड़ी प्रतीका रावल भले ही चोटिल थीं, लेकिन उन्होंने तिरंगे में लिपटकर व्हीलचेयर पर घूमते हुए जीत का जश्न मनाया. यह दृश्य सिर्फ भावनात्मक नहीं था, बल्कि खेल भावना और टीम के प्रति समर्पण का प्रतीक भी था. रविवार को नवी मुंबई के डॉ. डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर महिला विश्व कप अपने नाम किया. प्रतीका, जो बांग्लादेश के खिलाफ मैच के बाद चोटिल हो गई थीं, प्लेइंग इलेवन में नहीं थीं, लेकिन उनका उत्साह और टीम के लिए प्यार मैदान पर साफ दिख रहा था.
उन्होंने कहा, "चोटें खेल का हिस्सा हैं, लेकिन टीम के साथ खड़े रहना मेरे लिए गर्व की बात है." यह बयान सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि हर उस एथलीट की भावना है जो कभी न कभी चोट से जूझता है.
क्रिकेट में कौन-कौन सी कॉमन स्पोर्ट्स इंजरी होती हैं? | What are the Common Sports Injuries in Cricket?
क्रिकेट भले ही एक नॉन-कॉन्टैक्ट गेम हो, लेकिन इसमें चोट लगने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. लंबे समय तक खेलने, बार-बार एक ही मूवमेंट करने और अचानक तेज गति से दौड़ने के कारण शरीर पर काफी दबाव पड़ता है.
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यहां जानिए क्रिकेट में सबसे आम चोटें कौन सी होती हैं:
1. शोल्डर इंजरी (कंधे की चोट)
फील्डिंग और थ्रोइंग के दौरान कंधे पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. इससे रोटेटर कफ टियर, टेंडनाइटिस या इंफ्लेमेशन हो सकता है. इसके लक्षणों में दर्द, हाथ उठाने में कठिनाई, सूजन शामिल हैं. इससे बचाव के लिए वार्म-अप, स्ट्रेचिंग और थ्रोइंग टेक्निक में सुधार करने की जरूरत है.
2. हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन (जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव)
तेज दौड़ते समय या अचानक रुकते समय यह चोट आम है, खासकर बॉलर्स और फील्डर्स में इस तरह के चोटें लगना आम है. इसके लक्षणों में पीछे की जांघ में तेज दर्द, चलने में कठिनाई शामिल हैं. अगर आप रेगुलर स्ट्रेचिंग, हाइड्रेशन और मांसपेशियों की मजबूती रखते हैं इस तरह की चोटों से बचा जा सकता है.
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3. लम्बर स्ट्रेस फ्रैक्चर (कमर की हड्डी में दरार)
फास्ट बॉलर्स में यह चोट बहुत आम है क्योंकि उनकी पीठ पर बार-बार दबाव पड़ता है. इससे पीठ में लगातार दर्द, झुकने में परेशानी हो सकती है. इससे बचाव के लिए कोर स्ट्रेंथ बढ़ाना, बॉलिंग टेक्निक में सुधार जरूरी है.
4. फिंगर फ्रैक्चर (उंगलियों की चोट)
बल्लेबाजों और फील्डर्स को बॉल लगने से उंगलियों में फ्रैक्चर या डिसलोकेशन हो सकता है, जिसके लक्षणों में सूजन, दर्द, उंगली का टेढ़ा होना शामिल है. इससे बचाव के लिए सही कैचिंग टेक्निक, फील्डिंग ग्लव्स का इस्तेमाल करना चाहिए.
5. कंकशन (सिर पर चोट)
बॉल लगने से सिर में चोट लग सकती है, खासकर बल्लेबाजों और विकेटकीपर्स को. बॉल लगने के लिए बाद चक्कर आना, उलझन, सिरदर्द रहे तो कंकशन का संकेत हो सकता है. हेलमेट का सही इस्तेमाल, सतर्कता से इस चोट से बचाव किया जा सकता है.
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6. एंकल स्प्रेन (टखने में मोच)
फील्डिंग करते समय अचानक दिशा बदलने या गिरने से टखने में मोच आ सकती है, जिससे पैर में सूजन, चलने में दर्द जैसी परेशानियां हो सकती हैं. इस समस्या से बचाव के लिए एंकल सपोर्ट, सही फुटवियर और सतर्कता जरूरी है.
इन इंजरी से बचने के लिए क्या करें? | What Can Be Done to Avoid These Injuries?
वार्म-अप और कूल-डाउन: हर मैच या प्रैक्टिस से पहले और बाद में शरीर को तैयार करें.
हाइड्रेशन: पानी की कमी से मांसपेशियों में खिंचाव होता है.
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: शरीर की ताकत बढ़ाने से चोट का खतरा कम होता है.
रेस्ट और रिकवरी: लगातार खेलने से ओवरयूज़ इंजरी हो सकती है आराम जरूरी है.
सही टेक्निक: बॉलिंग, बैटिंग और फील्डिंग की सही तकनीक अपनाएं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














