नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने हुई मौत के बाद अब सरकार दवा की गुणवत्ता और उसकी निर्माता कंपनियों की निगरानी को लेकर नया कानून लाने की तैयारी में है. यह नया कानून पुराने दवा और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की जगह लेगा. इसमें राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी किसी कंपनी पर कार्रवाई का अधिकार होगा. जानकारी के अनुसार, सरकार ने दवा, चिकित्सा उपकरण और कॉस्मेटिक अधिनियम 2025 लागू करने का फैसला किया है. इस 147 पन्नों के मसौदे में कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान रखे गए हैं. इसमें सबसे अहम गलती करने वाली कंपनियों का सिर्फ राज्य ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार भी लाइसेंस रद्द कर सकती है.
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नए कानून में क्या बदलेगा?
जानकारी के अनुसार, अभी तक लाइसेंस रद्द करने का अधिकार सिर्फ राज्य औषधि नियंत्रक विभाग के पास था. इसको लेकर राज्य और केंद्र के बीच अक्सर मामला फंसा रहता था. हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई घटना के बाद भी ऐसा ही देखा गया, जब घटना की जांच में तमिलनाडु के राज्य औषधि नियंत्रक विभाग की लापरवाहियां सामने आई. दरअसल, 2011 से अब तक दो बार कंपनी का लाइसेंस रिन्यू किया गया लेकिन उसकी सूचना केंद्रीय एजेंसी को नहीं दी गई.
केंद्रीय जांच में जब कंपनी की और भी दवाओं में घातक रसायन पाया गया तो उसका लाइसेंस निरस्त करने की सिफारिश भी की गई लेकिन राज्य एफडीए ने यह फैसला लेने में करीब एक सप्ताह से अधिक का वक्त लिया. सूत्रों की मानें तो, नए कानून में अब केंद्र के पास सीधे कार्रवाई का अधिकार होगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में 14 अक्तूबर को हुईं हाई लेवल बैठक में अधिकारियों ने इस मसौदे को पेश किया है. नई व्यवस्था के तहत, अगर कोई निर्माता लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करता है, सुधार नोटिस का पालन नहीं करता या फिर घटिया दवाओं का उत्पादन करता है तो केंद्र या राज्य दोनों में से कोई भी उसे कारण बताओ नोटिस जारी करने के अलावा लिखित आदेश में लाइसेंस रद्द या निलंबित कर सकेगा. इसके अलावा दवाओं के निर्माण, बिक्री या वितरण को रोकने और स्टॉक नष्ट करने का आदेश भी दिया जा सकेगा.
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कंपनी के पास अपील का अधिकार
नए कानून के तहत, अगर किसी कंपनी का लाइसेंस रद्द या निलंबित होता है तो वह 90 दिनों में अपील कर सकेगी. यह अपील राज्य या केंद्र सरकार के पास की जा सकती है और सुनवाई के बाद आदेश को रद्द, संशोधित या बरकरार रखा जा सकता है.
पारदर्शिता और सुरक्षा पर जोर
दरअसल सरकार का पूरा जोर दवा की गुणवत्ता में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने पर है. यही वजह है कि ऐसा कानून लाने की तैयारी है. इससे ना सिर्फ गलत कंपनियों पर तुरंत कार्रवाई हो सकेगी बल्कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और अच्छी क्वालिटी की दवाएं मिलेंगी.
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श्री सन फार्मा जैसी कंपनियों पर कसेगा शिकंजा
केंद्र सरकार ने नए कानून में अब ऐसे प्रावधान किए हैं जिसके चलते किसी भी राज्य में लाइसेंस प्राप्त प्रत्येक दवा कंपनी का अब पूरा ब्यौरा राज्य और केंद्र दोनों की एजेंसियों के पास होगा. दोनों एजेंसियों की संयुक्त टीम समय-समय पऱ ऑडिट भी करेगी और अगर कोई कंपनी संदिग्ध मिलती है तो राज्य के साथ साथ केंद्र भी अपने स्तर पर उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा. इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा की श्री सन फार्मा जैसी कंपनियों पर शिकंजा कर सकेगा.
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