सांस, पाचन और किडनी रोगों के लिए कमाल है पिप्पली, जान लें इस आयुर्वेदिक औषधि के कमाल के फायदे

Pippali Benefits: पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करती है. यह कफ और बलगम निकालने में मदद करता है.

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पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करती है.

Pippali Benefits: हमारे घर की रसोई में स्वाद के साथ-साथ हमारी सेहत के भी कई सारे खजाने छिपे रहते हैं, ऐसा ही एक खजाना है पिप्पली! यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन, श्वसन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में उपयोगी है. पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करती है. यह कफ और बलगम निकालने में मदद करता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं, इसलिए यह दर्द निवारक के तौर पर काम करता है और जोड़ों के दर्द और सूजन कम करने में मददगार साबित होता है. पिप्पली को एक औषधि के रूप में जाना जाता है, जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है.

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सांस और और पाचन संबंधी समस्याओं में फायदेमंद

यह खासतौर से खांसी, श्वसन संबंधी बीमारियों और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए उपयोग की जाती है. ये एक ऐसी औषधि है जो त्वचा संबंधी तकलीफों को कम करने में मदद करती है. दरअसल, यह खून साफ कर कील-मुहांसों, मुहांसों, खुजली जैसी दिक्कतों को दूर करती है.

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मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मददगार

इसे आमतौर पर सुखाया जाता है और मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. लंबी मिर्च का स्वाद अपने करीबी रिश्तेदार पाइपर नाइग्रम के समान होता है, लेकिन उससे ज्यादा मीठा और कम तीखा होता है, जिससे काली, हरी और सफेद मिर्च प्राप्त होती है. यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करती है और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण सूजन कम करने में भी सहायक होती है.

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इम्यूनिटी बूस्टर

इसे इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. यह पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र तक को कंट्रोल में रखती है. इसकी तासीर गर्म होती है, जिस वजह से गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है. आयुर्वेद के मुताबिक, पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करता है. यह कफ और बलगम निकालने में मदद करता है.

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किडनी के लिए फायदेमंद

पिप्पली से मेटाबॉलिज्म तेज गति से होता है. यह किडनी की सेहत का ख्याल रखता है और यूरिन डिसऑर्डर को भी दूर करता है. वैसे आमतौर पर दादी-नानी के नुस्खों में भी इसका जिक्र बड़े अदब से होता है. कहा जाता है कि एक चौथाई से आधा चम्मच शहद या गर्म पानी के साथ लें तो फायदा होता है और अगर खांसी-जुकाम है और चूर्ण फांकने में दिक्कत है, तो पिपरामूल को उबालकर पीने से भी फायदा होता है. अगर यह भी संभव न हो, तो डॉक्टर की सलाह पर कैप्सूल और टैबलेट रूप में प्रयोग कर सकते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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